Equity kya hai | Equity Meaning in Hindi– शेयर बाजार में निवेश करते वक्त आपको इक्विटी शब्द बार-बार सुनने को मिलता है कभी इक्विटी कैपिटल तो कभी इक्विटी शेयर्स लेकिन आखिर यह इक्विटी होता क्या है?
आज हम इक्विटी (Equity Meaning In Hindi) के बारे में इस पोस्ट में विस्तार से जानने वाले हैं तो आइए शुरू करते हैं-
Contents
- इक्विटी क्या होती है? | What is Equity Meaning in Hindi?
- इक्विटी और डेट में क्या अंतर होता है?
- किसी कंपनी में Equity कितने लोगों की हो सकती है?
- किसी कम्पनी के शेयरहोल्डर कौन-कौन होते हैं?
- Shareholders Equity क्या होती है?
- किसी कंपनी में Promoters Equity क्या होती है?
- इक्विटी मार्केट क्या होता है?
- इक्विटी ट्रेडिंग किसे कहते हैं?
- आखिरी शब्द
इक्विटी क्या होती है? | What is Equity Meaning in Hindi?
👉 इक्विटी का हिंदी में अर्थ क्या होता है?
- इक्विटी का हिंदी में अर्थ होता है हिस्सेदारी या आपका हिस्सा, आपका शेयर या आपकी ownership
अगर किसी कंपनी में आपने पैसा लगाया हुआ है और उस कंपनी के कुछ शेयर आपने खरीद रखे है
तो इसका मतलब है कि उस कंपनी में आपकी हिस्सेदारी है या ownership है यानी कि इक्विटी है।
मतलब आप उस कंपनी के कुछ हिस्से के मालिक हैं।
👉 शेयर मार्केट में इक्विटी क्या होता है?
- एक तरह से बोले तो किसी कंपनी में आपका मालिकाना हक ही Equity होती है। इसी मालिकाना हक को हम ownership बोलते हैं।
इक्विटी और डेट में क्या अंतर होता है?
DEBT EQUITY MEANING IN HINDI
इक्विटी उस पैसे को कहते हैं जो आप किसी व्यापार को शुरू करते समय लगाते हैं।
उस व्यापार में आपकी इक्विटी अलग-अलग प्रतिशत के रूप में हो सकती है।
लेकिन किसी भी व्यापार को चलाने के लिए आपको इक्विटी के साथ-साथ डेट (debt) भी लेना पड़ता है
जो इक्विटी का पैसा होता हैै उसे इक्विटी कैपिटल कहते हैं और जो डेट होता है उसे हम लायबिलिटी (Liability) कहते हैं
इस प्रकार:
Assets = Equity + Liability (Debt)
आइए इसे एक उदाहरण के द्वारा समझते हैं-
उदाहरण: मान लो आप एक होटल का बिजनेस करना चाहते हैं जिसको शुरू करने के लिए आपको 10 लाख रुपए की जरूरत है।
लेकिन आपके पास केवल 6 लाख रुपये ही हैं।
तो ऐसे में आपने सोचा कि बाकी 4 लाख रुपये का बैंक से loan या debt ले लेते हैं जिस पर आपको ब्याज देना पड़ेगा।
इस तरह आपने खुद 6 लाख रुपये लगाए और 4 लाख रुपये का बैंक से कर्ज (debt) लिया
तो अब आपके पास कुल 10 लाख रुपये आ गए जिन्हें लगाकर आप अपना होटल का व्यापार शुरू कर देते हैं।
इस उदाहरण में आपने देखा कि आपका व्यापार तो 10 लाख रुपये से शुरू हुआ लेकिन आपने उसमें लगाए केवल 6 लाख रुपये
इन 6 लाख रुपये को ही हम इक्विटी (Equity) कहते हैं।
मतलब आपने कुल पैसे का 60 प्रतिशत (10 लाख का 60% = 6 लाख) रुपये लगाया।
तो ऐसा कहा जाएगा कि आप इस व्यापार के 60% के मालिक हो यानी कि व्यापार में आपकी equity 60% है।
और 40% का डेट (debt) है जिसे हम Liability भी कहते हैं।
आसान शब्दों में कहें तो व्यापार में आपकी हिस्सेदारी/ownership ही Equity कहलाती है।
जो पैसा आप व्यापार को शुरू करते समय लगाते हैं उसे Equity Capital कहते हैं।
ऊपर दिए गए उदाहरण में जो बाकी 4 लाख रुपये आपने बैंक से लोन लिया उसे हम liability कहते हैं क्योंकि उसे हमें चुकाना पड़ता है.
जब हम Equity Capital + liability दोनों को जोड़ देते हैं तो वह Asset कहलाता है.
इस प्रकार:
ऊपर दिए गए उदाहरण में 10 लाख रुपये आपके Total Asset या कुल परिसंपत्ति हैं।
ये भी जानिए-
नीचे दी गई वीडियो में इक्विटी के बारे में बहुत ही अच्छे से explain किया गया है, यह वीडियो True investing यूट्यूब चैनल से ली गई है-
किसी कंपनी में Equity कितने लोगों की हो सकती है?
किसी कंपनी में हिस्सेदारी यानी इक्विटी दो तरह के लोगों की होती है-
- कम्पनी के शेयरधारक (Shareholders) या निवेशक
- कम्पनी के Promoters
शेयरहोल्डर्स और प्रमोटर्स कंपनी के अलग-अलग प्रतिशत के मालिक होते हैं।
किसी कम्पनी के शेयरहोल्डर कौन-कौन होते हैं?
शेयरहोल्डर्स वो लोग या वह कंपनीज होते हैं जिन्होंने कंपनी के शेयर्स को खरीदा हुआ है।
जैसे; Retail निवेशक, कोई अन्य कंपनी या कोई म्यूच्यूअल फंड, यह सभी कंपनी के शेयरहोल्डर्स कहलाते हैं।
जिस शेयरहोल्डर्स के पास उस कंपनी के जितने ज्यादा शेयर होते हैं उसकी हिस्सेदारी (equity) उस कंपनी में उतनी ही ज्यादा होती है.
मान लो एक कंपनी है ABC लिमिटेड जिसके कुल शेयर 10 लाख हैं।
अगर आप इस कंपनी के यानी ABC लिमिटेड के 1 लाख शेयर्स खरीद लेते हैं तो ABC लिमिटेड में आपकी Equity 10% कहलाएगी।
मतलब आप ABC लिमिटेड कम्पनी के 10% हिस्से के मालिक (owner) होंगे।
ठीक इसी प्रकार अगर आप ABC लिमिटेड के सिर्फ 10 हजार शेयर खरीदते हैं तो आप 1% के मालिक कहलाएंगे।
इस तरह आप किसी कंपनी के जितने भी शेयर खरीदते हैं उसके अनुसार आप कंपनी के अलग-अलग प्रतिशत के मालिक होते हैं
- चाहे आपने एक शेयर ही क्यों ना खरीदा हो तो आप उसके किसी ना किसी हिस्से के मालिक जरूर कहलाएंगे लेकिन जाहिर सी बात है कि वह हिस्सा बहुत छोटा होगा।
आपको बता दें कि ये जो 10 हजार, 1 लाख या जितने भी शेयर्स आप किसी कंपनी के खरीदते हैं उन्हें ‘Equity shares‘ कहते हैं।
इसी तरह इन equity shares के रूप में जो हिस्सेदारी आपको कंपनी में मिलती हैं उसे ‘Shareholders Equity‘ कहते हैं।
किसी कंपनी में Promoters Equity क्या होती है?
कंपनी के प्रमोटर्स (Promoters) वह लोग होते हैं जो कंपनी को शुरू करते हैं और कंपनी को शुरू करने के लिए जो पैसा यह लोग लगाते हैं उसे Equity Capital कहते हैं।
उदाहरण: मान लो चार दोस्त मिलकर 40 लाख रुपये से एक कंपनी शुरू करते हैं जिसमे चारों लोग बराबर-बराबर पैसा लगाते हैं.
यानी कि प्रत्येक व्यक्ति 10 लाख रुपए लगाता है।
इस तरह चारों दोस्त उस कंपनी में बराबर के हिस्सेदार होते हैं मतलब चारों को उस कम्पनी में एक चौथाई हिस्सा मिलेगा।
मतलब उस कम्पनी में 25% हिस्सेदारी (Equity) प्रत्येक दोस्त को मिलेगी।
आप अगर इसी उदाहरण को थोड़ा बदल दें तो,
जैसा कि आपको पता है कंपनी को शुरू करने के लिए 40 लाख रुपये की जरूरत थी जिसमें
- एक दोस्त A ने 4 लाख रुपये लगाए
- दूसरे दोस्त B ने 8 लाख रुपये लगाए
- तीसरे दोस्त C ने 24 लाख रुपये लगाए
- और चौथे दोस्त D ने 4 लाख रुपये लगाए।
इस दोस्तों ने मिलकर कुल 40 लाख रुपये से कंपनी की शुरुआत की।
तो पहले दोस्त A की इक्विटी कम्पनी में 10% होगी (क्योंकि उसने 4 लाख रुपये लगाए थे जोकि 40 लाख का 10% हैं।)
इसी तरह, दूसरे दोस्त B की इक्विटी कम्पनी में 20%, C की इक्विटी 60% और D की इक्विटी 10% होगी।
इक्विटी मार्केट क्या होता है?
शेयर मार्केट या स्टॉक मार्केट को ही हम ‘इक्विटी मार्केट‘ भी कहते हैं.
जब कोई कंपनी निवेशकों के लिए अपने शेयर्स जारी करती है तो उन शेयर्स को ही हम इक्विटी बोलते हैं.
वैसे इक्विटी का मतलब ज्यादा कुछ नहीं बस शेयर्स ही होता है. तो
जब आप शेयर मार्केट में किसी कंपनी के शेयर को खरीदते या बेचते हैं तो यह कहा जाता है कि आपने किसी कंपनी में इक्विटी ली है।
तो हम कह सकते हैं कि जो कंपनी स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड होती हैं वह निवेशकों के लिए इक्विटी जारी करती हैं ताकि निवेशक या ट्रेडर्स उनकी कंपनी में हिस्सेदार बन सके।
इससे कंपनी के पास इक्विटी देने के बदले ज्यादा से ज्यादा पैसा आएगा और कंपनी अपने नेट प्रॉफिट को बढ़ा पाएगी।
इक्विटी ट्रेडिंग किसे कहते हैं?
जब ट्रेडर्स किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं या बेचते हैं तो ऐसे ही इक्विटी ट्रेडिंग कहते हैं।
इक्विटी ट्रेडिंग ज्यादातर स्पॉट मार्केट या कैश मार्केट और फ्यूचर मार्केट में ही होती है।
कैश मार्केट में आप किसी भी स्टॉक की डिलीवरी ले सकते हैं जबकि फ्यूचर मार्केट में अगर आज आपने किसी कंपनी के फ्यूचर को खरीदा है तो उसे आप किसी एक निश्चित तारीख पर खरीद या बेच पाएंगे क्योंकि इसमें आपके साथ ही contract हो जाता है जिसे Future contract बोलते हैं।
क्या शेयर और इक्विटी में कोई अंतर है?
नहीं, शेयर और इक्विटी में कोई अंतर नहीं है जब आप किसी कंपनी के शेयर को खरीदते हैं तो कहा जाता है कि आपने उस कंपनी में इक्विटी खरीदी है इसीलिए इन दोनों के बीच कोई फर्क नहीं है।
इक्विटी फंड और डेट फंड में क्या अंतर है?
पहले तो आपको बता दें कि यह दोनों ही फंड म्यूच्यूअल फंड की तरह हो सकते हैं जैसे कि:
जब आप इक्विटी फंड में अपना पैसा निवेश करते हैं तो आपका पैसा शेयर मार्केट में लगता है जिसे हम इक्विटी मार्केट भी कहते हैं। इसमें जैसे-जैसे शेयर के दाम ऊपर नीचे होते हैं आपका इक्विटी फंड में लगाया हुआ पैसा भी शेयर प्राइस के अनुसार कम या ज्यादा होता रहता है।
लेकिन जब आप डेट फंड में पैसा निवेश करते हैं तो आपका पैसा डेट मार्केट में लगता है मतलब आपके पैसे को अलग-अलग बॉन्ड जैसे कॉरपोरेट बॉन्ड, गवर्नमेंट बॉन्ड या कंपनियों के बॉन्ड खरीदने के लिए निवेश किया जाता है जिस पर आपको ब्याज मिलता है।
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आखिरी शब्द
आज इस पोस्ट में हमने आपको इक्विटी (Equity kya hai, Equity Meaning in Hindi) के बारे में विस्तार से बताया है
और साथ ही इक्विटी और डेट में क्या अंतर होता है यह भी बताया है.
इसके अलावा इक्विटी कैपिटल, इक्विटी शेयर और शेयरहोल्डर इक्विटी के बारे में भी जान चुके होंगे.
अगर आपको जानकारी उपयोगी लगी हो तो आप कमेंट में हमें बता सकते हैं.
अगर आपका शेयर बाजार या इक्विटी से संबंधित कोई सवाल है तो आप कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं.
क्या किसी दिवालया कंपनी कोई दुसरी कंपनी खरीदती ह तो क्या पहले के शेयर नेई कंपनी बटे मे डाल सकती है
जब एक कंपनी किसी दूसरी कंपनी को खरीदती है तो वह उसमें हिस्सेदारी लेती है ना कि उसे पूरा खरीदती है, हिस्सेदारी का मतलब है कि वह उस कंपनी के maximum शेयर्स खरीद लेती है जिससे दूसरी कंपनी पर पहली कंपनी का अधिकार हो जाता है और वह उसकी पैरंट कंपनी कहलाती है.
मैं आशा करता हूं आपको समझ आया होगा।
Nice knowledge ☺️
Thanks Lara🙂
Yadi kisi company ka 60% share koi khareed leta hai to vah use company ka kya hoga
60% खरीद लेने पर वह उस पूरी कंपनी का मालिक बन जाएगा और कंपनी के अधिकतर सही निर्णय लेने का उसे अधिकार होगा बाकी 40% में अन्य इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर, FII (विदेशी निवेशक), DII (घरेलू निवेशक) और छोटे रिटेल निवेशक हो सकते हैं।
Bhai 10 k franchisees he ab unko b kha lo meri toh aadhi khich li