सरकार का एक फैसला और IEX का पूरा बिजनेस खत्म, जानिए क्यों हुई शेयर में इतनी बड़ी गिरावट!

आखिर क्यों गिर रहा है IEX का शेयर, क्या है गिरावट का कारण? क्या बेचकर बाहर निकल जाए?

IEX share news today in hindi

IEX share latest news in hindi: इंडियन एनर्जी एक्सचेंज (IEX) का शेयर पिछले कुछ दिनों से लगातार गिर रहा है। आज यानी भी IEX का शेयर 6% से ज्यादा की गिरावट देखी जा चुकी है। इस गिरावट के चलते IEX का बाजार पूंजीकरण घटकर सिर्फ 12,000 करोड़ रुपये पर आ चुका है।

IEX शेयर क्यों गिर रहा है?

Why IEX share falling– IEX के शेयर में गिरावट का एकमात्र कारण है सरकार की ओर से की गई मार्केट कपलिंग की घोषणा। सरकार ने हाल ही में कहा है कि वह बिजली के बाजार को एकीकृत करेगी। इसके तहत, बिजली के सभी लेन-देन को एक ही बाजार में किए जाएंगे। वर्तमान में, बिजली के लेन-देन को दो बाजारों में किया जाता है – IEX और POSOCO।

मार्केट कपलिंग की अनाउंसमेंट के बाद निवेशकों की चिंता

जब विद्युत मंत्रालय ने मार्केट कपलिंग की घोषणा की, तो अधिकांश निवेशकों ने अपनी चिंता जताई। उनका मानना ​​है कि इससे IEX के बिजनेस को नुकसान होगा। IEX बिजली के बाजार में एकाधिकार यानी monopoly रखता है।

इस मार्केट कपलिंग के बाद, IEX का एकाधिकार समाप्त हो जाएगा। इससे IEX को प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा, जिससे उसके रिवेन्यू और प्रॉफिट पर नेगेटिव प्रभाव पड़ने की संभावना है।

IEX शेयर में गिरावट का कारण

IEX शेयर में गिरावट का मुख्य कारण मार्केट कपलिंग की घोषणा है। सरकार की ओर से मार्केट कपलिंग की ऑफिशयल घोषणा के बाद, निवेशकों की चिंता बढ़ गई है। इससे IEX शेयर में बिकवाली हुई है, जिससे शेयर की कीमत में गिरावट आई है।

विद्युत मंत्री आर के सिंह ने मार्केट कपलिंग के पक्ष में तर्क दिया है कि सरकार का यह निर्णय देश के हित में होगा और सिंगल प्राइस के लिहाज से पावर सेक्टर के लिए मार्केट कपलिंग जरूरी है। हालांकि, उन्होंने मार्केट का प्लान कब तक होगा, इसका कोई सीधा जवाब नहीं दिया है।

मार्केट कपलिंग क्या है?

मार्केट कपलिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें दो या दो से अधिक बाजारों को एकीकृत किया जाता है। इससे इन बाजारों में एक समान कीमत और लेनदेन की शर्तें सुनिश्चित होती हैं।

बिजली के क्षेत्र में, मार्केट कपलिंग का अर्थ है कि बिजली के सभी लेनदेन यानी एनर्जी ट्रेडिंग एक ही बाजार में किए जाएंगे। वर्तमान में, भारत में बिजली के लेनदेन दो बाजारों में किए जाते हैं – भारतीय इलेक्ट्रॉनिक एक्सचेंज (IEX) और पावर ऑपरेटिंग सिस्टम ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (POSOCO) लेकिन आगे चलकर IEX को इस सेगमेंट से हटाने की तैयारी है।

IEX के बिजनेस मॉडल पर मार्केट कपलिंग का प्रभाव

IEX वर्तमान में बिजली के बाजार में एकाधिकार रखता है। मार्केट कपलिंग के बाद, IEX का एकाधिकार समाप्त हो जाएगा। इससे IEX को प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा, जिससे उसके राजस्व और मुनाफे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है।

मार्केट कपलिंग के कारण IEX के बिजनेस मॉडल पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ सकते हैं:

  1. नए ग्राहकों को आकर्षित करना मुश्किल हो सकता है: मार्केट कपलिंग के बाद, बिजली के सभी लेनदेन एक ही बाजार में किए जाएंगे। इससे IEX के लिए नए ग्राहकों को आकर्षित करना मुश्किल हो सकता है।
  2. प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी: मार्केट कपलिंग के बाद, IEX को अन्य एक्सचेंजों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी होगी। इससे IEX को अपने शुल्क को कम करना आवश्यक हो सकता है, जिससे उसके राजस्व में कमी आ सकती है।
  3. बिजनेस में बदलाव की आवश्यकता होगी: मार्केट कपलिंग के आने से, IEX को अपने कारोबार में बदलाव करने होंगे। इससे IEX के लिए लागत बढ़ सकती है।

निवेशकों को कैसे नुकसान हो सकता है?

मार्केट कपलिंग के बाद IEX के बिजनेस में गिरावट आने की संभावना है। इससे IEX के शेयर की कीमत में गिरावट आ सकती है। इससे IEX के शेयरधारकों को नुकसान हो सकता है।

IEX कंपनी के बिजनेस से संबंधित महत्वपूर्ण टर्म्स

  • पावर ट्रेडिंग: बिजली के लेनदेन को पावर ट्रेडिंग कहा जाता है।
  • प्राइस डिस्कवरी: बिजली की कीमत का पता लगाने की प्रक्रिया को प्राइस डिस्कवरी कहा जाता है।
  • बिडिंग: बिजली की खरीद या बिक्री के लिए बोली लगाने की प्रक्रिया को बिडिंग कहा जाता है।
  • DAM (Day ahead market): दिन भर के लिए बिजली की खरीद और बिक्री के लिए एक बाजार को DAM कहा जाता है।
  • RTM (Real time market): वास्तविक समय में बिजली की खरीद और बिक्री के लिए एक बाजार को RTM कहा जाता है।

इनमें से प्रत्येक टर्म IEX के बिजनेस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

IEX Business Model: कंपनी पैसे कैसे कमाती है?

IEX कंपनी का बिजनेस बिजली के लेनदेन को सुविधाजनक बनाने पर आधारित है। कंपनी बिजली के खरीदारों और विक्रेताओं को एक मंच प्रदान करती है, जहां वे एक-दूसरे के साथ बिजली के लेनदेन कर सकते हैं।

IEX कंपनी का बिजनेस मॉडल निम्नलिखित है:

  • कंपनी बिजली के लेनदेन के लिए शुल्क लेती है।
  • कंपनी बिजली की कीमत का पता लगाने के लिए एक प्लेटफॉर्म प्रदान करती है।
  • कंपनी बिजली के लेनदेन को सुरक्षित और विश्वसनीय बनाती है।

IEX कंपनी के बिजनेस मॉडल को समझने के लिए आइये एक उदाहरण देखते हैं–

मान लीजिए कि एक बिजली कंपनी है, जिसे अगले दिन के लिए बिजली की आवश्यकता है। यह कंपनी IEX कंपनी के प्लेटफॉर्म पर जाती है और बिजली की खरीद के लिए बोली लगाती है।

दूसरी ओर, एक अन्य बिजली कंपनी है, जिसके पास अगले दिन के लिए बिजली की अतिरिक्त आपूर्ति है। यह कंपनी IEX कंपनी के प्लेटफॉर्म पर जाती है और बिजली की बिक्री के लिए बोली लगाती है।

IEX कंपनी दोनों कंपनियों की बोलियों को एकत्र करती है और उस कीमत का निर्धारण करती है जिस पर बिजली का लेनदेन किया जाएगा। इस प्रक्रिया को प्राइस डिस्कवरी कहा जाता है। (और यही प्राइस डिस्कवरी का बिजनेस सरकार की इस घोषणाा के बाद खत्म हो सकता है)

यदि बिजली कंपनी की बोली IEX कंपनी द्वारा निर्धारित कीमत से अधिक है, तो लेनदेन हो जाता है। बिजली कंपनी को बिजली प्राप्त होती है और IEX कंपनी को लेनदेन के लिए शुल्क देना होता है।

इस प्रकार, IEX कंपनी बिजली के लेनदेन के लिए शुल्क लेकर पैसा कमाती है।

IEX का प्राइस डिस्कवरी सेगमेंट का बिजनेस कैसे खत्म हो सकता है?

IEX का प्राइस डिस्कवरी सेगमेंट का बिजनेस इसलिए खत्म हो सकता है क्योंकि मार्केट कपलिंग के बाद, बिजली के सभी लेनदेन एक ही बाजार में किए जाएंगे। वर्तमान में, IEX बिजली के बाजार में मोनोपोली रखता है और प्राइस डिस्कवरी के लिए एकमात्र मंच है। मार्केट कपलिंग के बाद, IEX का एकाधिकार समाप्त हो जाएगा और अन्य एक्सचेंज भी प्राइस डिस्कवरी के लिए मंच प्रदान कर सकेंगे।

उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि A और B दो बिजली कंपनियां हैं। A कंपनी को अगले दिन के लिए बिजली की आवश्यकता है और B कंपनी के पास अगले दिन के लिए बिजली की अतिरिक्त आपूर्ति है।

वर्तमान में, A कंपनी IEX के प्लेटफॉर्म पर जाती है और बिजली की खरीद के लिए बोली लगाती है। B कंपनी भी IEX के प्लेटफॉर्म पर जाती है और बिजली की बिक्री के लिए बोली लगाती है। IEX दोनों कंपनियों की बोलियों को एकत्र करती है और उस कीमत का निर्धारण करती है जिस पर बिजली का लेनदेन किया जाएगा।

मार्केट कपलिंग के बाद, A कंपनी किसी भी एक्सचेंज के प्लेटफॉर्म पर जा सकती है और बिजली की खरीद के लिए बोली लगा सकती है। B कंपनी भी किसी भी एक्सचेंज के प्लेटफॉर्म पर जा सकती है और बिजली की बिक्री के लिए बोली लगा सकती है। सभी एक्सचेंज बिजली की कीमत का निर्धारण करने के लिए एक ही प्रक्रिया का उपयोग करेंगे।

इस प्रकार, मार्केट कपलिंग के बाद, IEX को अन्य एक्सचेंजों से कंपटीशन का सामना करना पड़ेगा। इससे IEX के पास कोई विशेष लाभ नहीं होगा जो इसे अन्य एक्सचेंजों से अलग करे। इससे IEX के लिए बिजली की कीमतों का निर्धारण करना अधिक कठिन हो सकता है और इससे उसके राजस्व और मुनाफे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

निवेशकों को क्या करना चाहिए?

निवेशकों को IEX के शेयर में निवेश करने से पहले मार्केट कपलिंग के संभावित प्रभावों पर विचार करना चाहिए। यदि आप IEX के शेयरों के मालिक हैं, तो आपको कंपनी के भविष्य के प्रदर्शन पर करीब से नज़र रखनी चाहिए।

यदि आप IEX के शेयरों में निवेश करने की योजना बना रहे हैं, तो आपको मार्केट कपलिंग के बाद कंपनी के बिजनेस मॉडल में होने वाले संभावित बदलावों पर विचार करना चाहिए।

यहाँ कुछ चीजें हैं जिन पर निवेशकों को ध्यान देना चाहिए:

  • IEX क्या कर रहा है ताकि वह मार्केट कपलिंग के बाद प्रतिस्पर्धा में बने रह सके?
  • IEX के पास क्या नए उत्पाद या सेवाएं हैं जो उसे अन्य एक्सचेंजों से अलग कर सकती हैं?
  • IEX का प्रबंधन टीम मार्केट कपलिंग के बाद कंपनी के बिजनेस मॉडल को कैसे बदलने की योजना बना रही है?

इन सवालों के जवाब देने से निवेशकों को यह समझने में मदद मिलेगी कि मार्केट कपलिंग के बाद IEX के शेयरों का प्रदर्शन कैसा रह सकता है।

भविष्य की संभावनाएं

मार्केट कपलिंग के बाद IEX के लिए भविष्य की संभावनाएं स्पष्ट नहीं हैं। यदि IEX प्रतिस्पर्धा से निपटने में सफल होता है, तो वह बाजार में अपनी स्थिति बनाए रखने में सक्षम हो सकता है। हालांकि, यदि IEX प्रतिस्पर्धा से निपटने में असफल होता है, तो उसके बिजनेस को नुकसान हो सकता है।

IEX के निवेशकों को मार्केट कपलिंग के बाद की स्थिति पर नजर रखनी चाहिए और अपने निवेश निर्णयों को उसके आधार पर लेना चाहिए।

Disclaimer: यह आर्टिकल हमने केवल जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा है. हमारा मकसद आपको किसी भी प्रकार की निवेश की सलाह देना नहीं है इसलिए किसी भी शेयर में निवेश करने से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह जरूर लें.

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