Margin Meaning in Hindi | मार्जिन का हिंदी अर्थ क्या है?

Margin Meaning in Hindi | Margin kya hota hai | मार्जिन की गणना कैसे की जाती है | Types of Margin in Hindi

Margin Meaning in Hindi

आखिर मार्जिन क्या है? ये एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है जिसे जानना बहुत जरूरी है अगर आप शेयर बाजार, ट्रेडिंग या फिर फाइनेंस में किसी भी तरह का सौदा कर रहे हैं।

मार्जिन का मतलब है कि आपको किसी भी चीज के लिए एक्स्ट्रा पैसा दिया जाता है। इसका इस्तेमाल करके आप अपने निवेश को बढ़ा सकते हैं फिर किसी भी तरह की डील को पूरा कर सकते हैं।

मार्जिन के कई प्रकार होते हैं जैसे कि इनिशियल मार्जिन, मेंटेनेंस मार्जिन, इक्विटी मार्जिन आदि। ये सभी अलग-अलग स्थितियों में इस्तेमाल होते हैं।

आज हम इस पोस्ट में मार्जिन (margin meaning in hindi) के बारे में डिटेल में जानेंगे और साथ ही इससे जुड़ी कुछ जरूरी बातों के बारे में भी जानेंगे. तो अगर आप margin को बिल्कुल आसान भाषा में समझना चाहते हैं तो ये पोस्ट अंत तक जरूर पढ़ें।

चलिए सबसे पहले जानते हैं margin का hindi meaning क्या है

इस पोस्ट में आप जानेंगे-

Margin Meaning in Hindi

मार्जिन का अर्थ है वह पैसा जो क्रेडिट पर व्यापार करने के लिए, एसेट खरीदने के लिए या ब्रोकर से धन उधार लेने के लिए आवश्यक है। मतलब मार्जिन वह पैसा होता है जो आपको आपके पास उपलब्ध नगद कैश से अधिक एसेट खरीदने की अनुमति देता है. और इसी पैसे को मार्जिन मनी भी कहते हैं।

बहुत सारे लोग शेयर बाजार में मार्जिन लेकर ट्रेडिंग करते हैं लेकिन उसमें Risk भी उतना ही ज्यादा होता है। अगर आप किसी शेयर को लेकर पूरी तरह से confirm हैं कि बस स्टॉक ऊपर ही जाएगा तो आप अपने ब्रोकर से अधिक margin लेकर अच्छा खासा प्रॉफिट कमा सकते हैं।

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मार्जिन क्या होता है – What is Margin in Hindi?

मार्जिन उस राशि को कहते है जो एक निवेशक को मार्जिन पर व्यापार करने के लिए collateral के रूप में जमा करना चाहिए। यह एक निवेशक के खाते में रखी गई प्रतिभूतियों (securities) के कुल मूल्य और ब्रोकर से प्राप्त ऋण राशि के बीच का अंतर है।

मार्जिन पर ट्रेडिंग एक निवेशक को अधिक शेयर खरीदने की अनुमति देता है जितना कि वे केवल अपनी नकदी के साथ नहीं कर पाएंगे, लेकिन इससे नुकसान का खतरा भी बढ़ जाता है।

Margin शब्द का उपयोग शेयर मार्केट और बिजनेस की दुनिया में काफी ज्यादा किया जाता है। अगर आप कोई किराने (Retail) की दुकान भी चलाते हैं तो वहां पर भी आपको मार्जिन शब्द सुनने को मिलेगा।

शेयर मार्केट में मार्जिन क्या होता है?

शेयर बाजार में मार्जिन एक फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट होता है जिससे निवेशकों को leverage (फायदा) मिलता है जिससे वो ज्यादा से ज्यादा शेयर खरीद सकते हैं। मतलब मार्जिन अकाउंट से इनवेस्टर्स अपने मौजूदा funds से ज्यादा शेयर खरीद सकते हैं।

इसका मतलब है कि अगर आपके पास कुछ फंड है और आप उन फंड से मार्जिन लोन लेते हैं तो आप ज्यादा शेयर खरीद सकते हैं। ये निवेशकों को शॉर्ट टर्म में ज्यादा प्रॉफिट देने का मौका देता है।

लेकिन, ये निवेशकों को ज्यादा जोखिम भी हो सकता है क्योकि अगर मार्केट डाउन हो जाता है तो निवेशकों को नुकसान भी हो सकता है। इसलिए, निवेशकों को मार्जिन ट्रेडिंग के लिए proper knowledge और risk management plan होना चाहिए।

चलिए अब मार्जिन (margin) के अलग-अलग मतलब समझ लेते हैं–

Stock margin meaning in hindi

Stock margin का अर्थ है पैसा उधार लेकर शेयर खरीदना. यह जो पैसा आप उधार लेते हैं वह आपका ब्रोकर देता है जिसे मार्जिन मनी कहते हैं। स्टॉक को मार्जिन देकर खरीदने या बेचने की प्रक्रिया को मार्जिन ट्रेडिंग कहते हैं।

लेकिन मार्जिन ट्रेडिंग करने के लिए आपको कुछ पैसा सिक्योरिटी के रूप में डिपाजिट करना पड़ता है उसके बाद ही आप अपने stock margin का उपयोग कर पाएंगे।

Example of stock margin in hindi–

मान लीजिए कोई निवेशक है जो XYZ कंपनी का शेयर खरीदना चाहता है जिसके एक शेयर की कीमत 100 रुपये है और अभी उसके पास सिर्फ 10000 रुपये हैं जिसमें वह XYZ कंपनी के 100 शेयर खरीद सकता है।

अब आप देखते हैं कि XYZ शेयर के लिए margin requirement 50% है. इसका मतलब है कि आप सिर्फ 5000 रुपये में ही XYZ कंपनी के 100 शेयर खरीद सकते हैं मतलब आपको केवल 50% अमाउंट ही देना पड़ेगा

और बाकी आपके पास बचे हुए 5000 रुपये का उपयोग करके आप अन्य शेयर खरीद सकते हैं या फिर किसी कंपनी के और शेयर भी खरीद सकते हैं।

तो मान लो कि आपने पूरे 10000 रुपये लगाकर 200 शेयर खरीद लिए. अब अगर उस शेयर का दाम 50 रुपये बढ़ जाता है तो आपको 200 शेयर के हिसाब से 10000 रुपये का प्रॉफिट होगा।

जबकि अगर आपने मार्जिन नहीं लिया होता तो सिर्फ 5000 रुपये का ही प्रॉफिट होता मतलब मार्जिन लेकर आप अधिक लाभ कमा सकते हैं।

लेकिन अगर शेयर बढ़ने की वजह गिर जाता है तो आपको उतना ही नुकसान भी झेलना होगा। इसीलिए आपको केवल इतना ही मार्जन लेना चाहिए जितना आप जोक है उठा सकते हैं क्योंकि अधिक margin money लेने पर आप मुसीबत में भी पड सकते हैं।

Used margin meaning in hindi

Used margin का अर्थ है वह राशि जो एक इन्वेस्टर कोई शेयर खरीदने के लिए ब्रोकर से उधार देता है। ये वह पैसा होता है जो शेयर बाजार से किसी पोजीशन को खरीदने के लिए यूज किया गया है।

Used margin को कैलकुलेट करने के लिए आपके मार्जन अकाउंट में पड़े हुए इक्विटी या शेयर की राशि में से मार्जिन requirement वाले अमाउंट को घटाया जाता है, फिर जो पैसा बचता है उसे हम used margin कहते हैं।

Example of used margin in hindi–

अगर किसी कंपनी का 1 शेयर खरीदने के लिए margin requirement 1000 रुपये है और आपके मार्जिन अकाउंट में वह शेयर 900 रुपये का दिखा रहा है तो यहां पर बचा हुआ 100 रुपये used margin होगा।

Used मार्जन इसीलिए जरूरी होता है क्योंकि यह वह पैसा होता है जो आपको ब्याज सहित ब्रोकर को वापस लौटाना पड़ता है।

Pledge margin meaning in hindi

Pledge margin का अर्थ है collateral margin या क्रेडिट पर लिया गया पैसा। जब भी आप किसी स्टॉक, बांड या रियल एस्टेट को खरीदने के लिए क्रेडिट पर पैसा लेते हैं तो उसे Pledge margin कहते हैं।

  • दूसरे शब्दों में, उधार लेने वाला व्यक्ति अपने किसी asset को गिरवी (pledge) लगता है जिसके बदले में हो उसे क्रेडिट पर जो पैसा मिलता है उसे pledge margin कहा जाता है।

Example of pledge margin in hindi–

मान लीजिये आप कोई बिजनेस शुरू करना चाहते हैं इसके लिए आपको 1 लाख की जरूरत है. यह 1 लाख रुपये आपको कोई भी कंपनी या इन्वेस्टर तभी देगा जब आप अपनी कोई वस्तु उसके पास गिरवी रखेंगे ताकि उसके पैसे की भी safety हो सके।

मतलब 1 लाख रुपये लोन लेने के लिए आपको 1 लाख से अधिक का अपना कोई asset गिरवी यानी pledge करना होगा।

pledge के रूप में आप अपना स्टॉक पोर्टफोलियो, इन्वेस्टमेंट, किसी कंपनी के tangible asset आदि रख सकते हैं।

और जितना पैसा आपको pledge रखने के बाद मिलता है उसे हम pledge money या pledge margin बोलते हैं।

मार्जिन का उदाहरण (Example of Margin in Hindi)

मान लीजिए– आपकी कोई किराना की दुकान है जिसमें एक प्रोडक्ट A है किसको अगर आप wholesale में खरीदते हैं तो उसके 1 पीस की कीमत 50 रुपये है लेकिन उसे आप अपनी दुकान में ले आने के बाद हर पीस को 55 रुपये में बेचते हैं तो ऐसे में (55–50) = 5 रुपये आपका मार्जिन होगा।

या फिर आप ऐसा भी कह सकते हैं कि 50 रुपये का सामान बेचने पर 5 रुपये यानी 10% मार्जिन है यानी आपको 10% लाभ होता है।

उम्मीद करता हूं अब आप मार्जिन का अर्थ (margin meaning in hindi) समझ गए होंगे. चलिए अब जान लेते हैं कि मार्जन कितने प्रकार के होते हैं–

मार्जिन के प्रकार – Types of Margin in Hindi

मार्जिन कई प्रकार के होते हैं जैसे;

  1. Portfolio Margin
  2. Initial Margin
  3. Maintenance Margin
  4. Day Trading Margin
  5. Used Margin
  6. Pledge Margin
  7. Delivery Margin
  8. Gross Margin
  9. Operating Margin
  10. Net Margin

लेकिन आपको इतने सारे प्रकार के बारे में जानने की जरूरत नहीं है जो types of margin जरूरी है उनके बारे में नीचे बताया गया है–

Delivery Margin in Hindi

डिलीवरी मार्जिन का मतलब है कि जब कोई ट्रेडर अपने खरीदे गए शेयर को अपने पास रखना चाहता है तब उसे एक निश्चित राशि का cash balance अपने अकाउंट में मेंटेन करना होगा। ये कैश बैलेंस डिलीवरी लेने के लिए काफी होता है।

जैसे, अगर किसी ट्रेडर ने 10,000 रुपये के शेयर खरीदे हैं और डिलीवरी मार्जिन की आवश्यकता है 10%, तो ट्रेडर को अपने खाते में 1,000 रुपये का कैश बैलेंस बनाए रखना होगा।

Gross Margin in Hindi

Gross Margin का अर्थ है ग्रॉस प्रॉफिट मार्जिन. यह एक फाइनेंशियल मैट्रिक है जो कंपनी के पास जो प्रॉफिट होता है उससे deduct करके बताता है कि कंपनी कितना प्रॉफिट कर रही है।

ये कंपनी के रेवेन्यू और कॉस्ट ऑफ गुड्स सोल्ड (COGS) के बीच के अनुपात को मापता है। आपको पता है कि कंपनी के रेवेन्यू से सीओजीएस को घटाने पर ग्रॉस प्रॉफिट निकलता है। ग्रॉस मार्जिन को कंपनी के प्रॉफिटेबिलिटी का इंडिकेटर कहा जाता है।

Net Margin in Hindi

नेट मार्जिन का मतलब होता है नेट प्रॉफिट मार्जिन. यह भी एक फाइनेंशियल मैट्रिक है जो कंपनी के पास जो प्रॉफिट होता है उसको कंपनी के रेवेन्यू के हिसाब से (%) में बताता है।

ये कंपनी के रेवेन्यू और नेट प्रॉफिट के बीच के रेश्यो को मापता है। प्रॉफिट मार्जिन कंपनी के प्रॉफिटेबिलिटी का इंडिकेटर है, क्योंकि ये कंपनी के नेट प्रॉफिट को प्रतिशत के रूप में शो करता है। कम प्रॉफिट मार्जिन वाली कंपनी की तुलना में अधिक प्रॉफिट मार्जिन वाली कंपनी अधिक लाभदायक होती है।

अब आप डिलीवरी मार्जिन, ग्रॉस मार्जिन और नेट मार्जिन को समझ गए होंगे.

चलिए अब एक ऐसा उदाहरण देखते हैं जिसमें मार्जन के लगभग सभी प्रकार cover हो जाएंगे–

मान लीजिये एक निवेशक रमेश है जो Rs. 100,000 का XYZ स्टॉक खरीदना चाहता है। उसके पास Rs. 50,000 ब्रोकरेज अकाउंट में है और वो मार्जिन इस्तेमाल करके स्टॉक खरीदना चाहता है। तो इस उदाहरण में–

  • Initial margin in hindi: रमेश ने जो Rs. 50,000 अपने अकाउंट से इस्तेमाल किया है स्टॉक खरीदने के लिए इसको हम इनिशियल मार्जिन कहते हैं।
  • Maintenance margin in hindi: XYZ स्टॉक के लिए मार्जिन रिक्वायरमेंट 25% है, इसे रमेश को अपने अकाउंट में Rs. 25,000 मेंटेन करने की जरूरत है जिससे वो स्टॉक को बेहतर प्राइस पर बेच सकता है।
  • Day Trading margin in hindi: रमेश प्लान कर रहा है कि वो XYZ स्टॉक को शॉर्ट टर्म में बेच देगा, इसलिए डे ट्रेडिंग मार्जिन लागू होगा जिस पर मार्जिन रिक्वायरमेंट 25% है।
  • Used margin in hindi: रमेश ने Rs. 50,000 से Rs. 75,000 तक का स्टॉक खरीदा है, जिसमे Rs. 25,000 उधार लिया है, जिसे used मार्जिन कहते हैं।
  • Pledge margin in hindi: रमेश ने अपने संपत्ति को गिरवी रखा है जिसके बदले में उसे pledge margin मिला है।
  • Gross margin in hindi: XYZ स्टॉक के रेवेन्यू से बेचे गए माल की लागत (COGS) को घटाकर ग्रॉस मार्जिन कैलकुलेट किया जाएगा जो कंपनी के प्रॉफिटेबिलिटी का इंडिकेटर होगा।
  • Operating margin in hindi: कंपनी के ऑपरेटिंग एक्सपेंस को घटाकर ऑपरेटिंग मार्जिन को कैलकुलेट किया जाएगा जो कंपनी की ऑपरेशनल एफिशिएंसी का इंडिकेटर होगा।
  • Net margin in hindi: यह कंपनी के नेट प्रॉफिट को रेवेन्यू के पर्सेंटेज में शो करता है, जो कंपनी के ओवरऑल प्रॉफिटेबिलिटी का इंडिकेटर होगा।

उम्मीद करता हूं अब आप सभी प्रकार के मार्जिन को अच्छे से समझ गए होंगे।

मार्जिन कैसे निकालते हैं (How to calculate margin in hindi)

  • मार्जिन निकालने के लिए आपको अपने ब्रोकर से बात करनी होगी।
  • ब्रोकर आपको मार्जिन के लिए कुछ दस्तावेज जैसे की आय प्रमाण, पहचान प्रमाण और बैंक स्टेटमेंट की जरूरत पड़ेगी।
  • उसके बाद आपको मार्जिन प्रतिशत दिया जाएगा जो आपको व्यापार करने के लिए दिया जाएगा।
  • जैसे की अगर मार्जिन 2% है तो आप 2% के हिसाब से ट्रेड कर सकते हैं।
  • आपको मार्जिन के लिए अतिरिक्त पैसा देने की जरूरत नहीं है, आप बस अपने मौजूदा फंड से मार्जिन लेना होगा।

जब आप ट्रेड करते हैं तो आपका मार्जिन अकाउंट मॉनिटर होता है और अगर आपका अकाउंट बैलेंस कम होता है तो आपको मार्जिन कॉल आएगा जिससे आपको अपने अकाउंट को टॉप अप करना होगा।

मार्जिन पर निवेश क्यों करें (Why should we use margin for trading)

मार्जिन पर निवेश (Investment) करने के कई कारण हो सकते हैं, कुछ मुख्य कारण ये हैं:

  1. Leverage: मार्जिन खाते से निवेशकों को लाभ मिलता है, जिससे वो अपने मौजूदा फंड से ज्यादा शेयर खरीद सकते हैं, जिससे आपका रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट बढ़ सकता है।
  2. Short Term Profit: शेयर मार्केट में शॉर्ट टर्म में ज्यादा प्रॉफिट होते हैं, मतलब मार्जिन अकाउंट से इनवेस्टर्स को शॉर्ट टर्म में ज्यादा प्रॉफिट पाने का मौका मिलता है।
  3. डायवर्सिफिकेशन: मार्जिन अकाउंट से इनवेस्टर्स को अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करने का मौका मिलता है, जिसका Risk मिनिमम होता है।
  4. Market Opportunities: मार्जिन खाते से निवेशकों को बाजार के अवसरों के लिए जल्दी प्रतिक्रिया करने का मौका मिलता है, जिससे उनका रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट बढ़ सकता है।

लेकिन, मार्जिन ट्रेडिंग में रिस्क भी होते हैं, जैसे कि अगर मार्केट डाउन हो जाता है तो इनवेस्टर्स को loss भी हो सकता है। इसलिए, निवेशकों को पहले इसके बारे में अच्छे से समझना चाहिए उसके बाद ही मार्जिन मनी लेना चाहिए।

मार्जिन वैल्यू क्या है (What is margin value in hindi)

मार्जिन वैल्यू, मार्जिन अकाउंट में किसी स्टॉक के लिए उपलब्ध फंड का प्रतिशत होता है।

  • जब आप किसी स्टॉक को मार्जिन अकाउंट से खरीदते हैं तो आपको उस स्टॉक के लिए मार्जिन वैल्यू देना होता है।
  • मार्जिन वैल्यू आपके अकाउंट में उपलब्ध funds से कैलकुलेट किया जाता है। इसका मतलब है कि अगर आपके अकाउंट में 10,000 रुपये है और आप 5,000 रुपये मार्जिन वैल्यू के लिए स्टॉक खरीदना चाहते हैं तो आपको 50% मार्जिन वैल्यू देना होगा।
  • मार्जिन वैल्यू अलग-अलग एक्सचेंज और ब्रोकरेज के हिसाब से vary कर सकती है। आम तौर पर, कुछ popular exchanges में मार्जिन वैल्यू 50% से लेकर 80% तक होती है।
  • मार्जिन वैल्यू आपके अकाउंट में avaliable funds से कैलकुलेट किया जाता है, जिससे आपको स्टॉक खरीदने के लिए ज्यादा फंड्स की जरूरत नहीं होती है।

लेकिन, इसमें निवेशकों को ज्यादा risk लेना पड़ता है क्योकि अगर मार्केट डाउन हो जाता है तो आपको नुकसान भी हो सकता है। इसलिए, सोच समझकर ही मार्जिन का उपयोग करना चाहिए।

Margin Meaning in Hindi FAQ’s

मार्जिन को हिंदी में क्या बोलते हैं?

मार्जिन का हिंदी में अर्थ मुनाफा या अतिरिक्त लाभ होता है. मार्जिन उस राशि (पैसे) को बोलते हैं जो आपको निवेश करने के लिए उधार दिया जाता है। इसे हम हिंदी में मार्जिन मनी कहते हैं।

मार्जिन क्या होता है?

मार्जिन एक उधार प्रणाली है जिसमे निवेशक स्टॉक खरीदने के लिए अपने ब्रोकर से पैसे उधार लेते हैं।

मार्जिन ट्रेडिंग क्या है?

मार्जिन ट्रेडिंग, निवेशकों को लिवरेज प्रदान करता है, जिससे वो अपने पैसे से ज्यादा के और अधिक स्टॉक खरीद सकते हैं।

मार्जिन की गणना कैसे की जाती है?

मार्जिन की गणना करने के लिए आपको रेवेन्यू में से cost को घटना होगा तो ग्रॉस मार्जिन निकल आएगा। अगर आप इसमें से बाकी सभी खर्चे भी निकाल देते हैं तो नेट प्रॉफिट मार्जिन आसानी से निकाल सकते हैं। और इसी अमाउंट को 100 से भाग देने पर मार्जिन प्रतिशत निकल आता है।

मार्जिन अकाउंट क्या है?

मार्जिन खाता एक विशेष प्रकार का ट्रेडिंग खाता है जिसमें निवेशक को अपने ब्रोकर से पैसे उधार लेने की अनुमति होती है।

Leverage क्या है?

लीवरेज, निवेशक को अपने पैसे से ज्यादा स्टॉक खरीदने की अनुमति देता है, जिसे निवेशक को अपने रिटर्न को बढ़ाने का मौका मिलता है।

मार्जिन कॉल क्या है?

मार्जिन कॉल, एक स्थिति होती है जब निवेशक के खाते में बैलेंस अपर्याप्त हो जाता है, ब्रोकर निवेशक को अतिरिक्त मार्जिन जमा करने के लिए कहता है।

मार्जिन खाता खोलने के लिए क्या क्या चाहिए?

मार्जिन खाता खोलने के लिए, निवेशक को अपने ब्रोकर को कुछ personal details प्रदान करना होगा जैसे कि पैन कार्ड, आधार कार्ड, बैंक खाता विवरण, आय प्रमाण, और हस्ताक्षर। उसके बाद निवेशक को अपने ब्रोकर से मार्जिन अकाउंट खोलने के लिए एप्लीकेशन फॉर्म भरना होगा।

मार्जिन ट्रेडिंग में किस तरह का जोखिम होता है?

मार्जिन ट्रेडिंग में, निवेशक को अपने पैसे से ज्यादा खरीदने की अनुमति मिलती है, जिससे निवेशक को अपने रिटर्न को बढ़ाने का मौका मिलता है। लेकिन इसके साथ साथ, निवेशक को लाभ उठाने के कारण नुकसान भी हो सकता है। मतलब जब बाजार में कोई नकारात्मक बदलाव आता है, तो निवेशक को अपने नुकसान को कवर करने के लिए अतिरिक्त फंड डिपॉजिट करने पड़ते हैं।

मार्जिन ट्रेडिंग में लीवरेज कैसे इस्तेमाल किया जाता है?

लिवरेज, निवेशक को अपने पैसे से ज्यादा स्टॉक खरीदने की अनुमति देता है। निवेशक को लाभ उठाने के अपने रिटर्न को बढ़ाने करने का मौका मिलता है। लेकिन याद रखिये आपको leverage के कारण नुकसान भी हो सकता है।

मार्जिन ट्रेडिंग में शॉर्ट सेलिंग क्या है?

शॉर्ट सेलिंग, निवेशक को स्टॉक को बेचने के लिए अनुमति देता है, जिससे निवेशक को बाजार में गिरावट होने पर मुनाफा मिलता है। इस प्रोसेस में, इन्वेस्टर स्टॉक को lend करके बेचता है और मार्केट गिरने पर उसे buy करके अपने लेंड किए हुए स्टॉक को वापस करता है।

मार्जिन ट्रेडिंग के क्या फायदे है?

मार्जिन ट्रेडिंग में, निवेशक को अपने पैसे से ज्यादा स्टॉक खरीदने को मिलते है, जिससे निवेशक को अपने रिटर्न को बढ़ाने का मौका मिलता है। इस प्रकार हमें शेयर बाजार में ज्यादा पैसा निवेश करने के लिए मौका मिलता है।

मार्जिन ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस कैसे सेट करें?

स्टॉप लॉस, एक लिमिट होती है जिसे इन्वेस्टर अपने लॉस को लिमिट करने के लिए सेट करता है। निवेशक को अपने ब्रोकर से स्टॉप लॉस लिमिट सेट करने के लिए अनुरोध करनी होती है।

नेट मार्जिन और ग्रॉस मार्जिन में क्या फर्क है?

नेट मार्जिन, एक कंपनी के नेट इनकम को रेवेन्यू से डिवाइड करके कैलकुलेट किया जाता है। जबकि ग्रॉस मार्जिन, एक कंपनी के बेचे गए माल की लागत को रेवेन्यू से डिवाइड करके कैलकुलेट किया जाता है।

Conclusion of ‘Margin Meaning in Hindi’

उम्मीद करता हूं अब आप Margin Meaning in Hindi अच्छे से समझ गए होंगे। इस पोस्ट में मैंने आपको बताया है कि Margin kya hai, मार्जिन कितने प्रकार के होते हैं और अलग-अलग प्रकार के मार्जिन के बारे में उदाहरण सहित आपने समझा। साथ ही हमने margin से जुड़े अलग-अलग सवाल और उनके जवाब भी जाने।

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मैं आशा करता हूं इस पोस्ट में margin के बारे में दी गई जानकारी आपको उपयोगी लगी होगी। अगर आपका इस टॉपिक से संबंधित कोई सवाल है तो नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर पूछिए।

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मेरा नाम दीपक सेन है और मैं इस वेबसाइट का Founder हूं। यहां पर मैं अपने पाठकों के लिए नियमित रूप से शेयर मार्केट, निवेश और फाइनेंस से संबंधित उपयोगी जानकारी शेयर करता हूं। ❤️