म्यूचुअल फंड से कमाई कैसे करें? Mutual Fund से कमाई करने के 20 तरीके

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आज की तेज रफ्तार जिंदगी में पैसा कमाना बहुत जरूरी है लेकिन पैसा कमाने के लिए सही तरीका चुनना और उस पर फोकस करना भी उतना ही जरूरी है। म्यूचुअल फंड एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां आप अपने पैसे को निवेश करके अपने वित्तीय लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं।

अगर आप भी Mutual fund में निवेश करके कमाई करना चाहते हैं, तो आप बिल्कुल सही जगह पर हैं। इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे म्यूचुअल फंड से कमाई कैसे करें और क्या तरीके हैं जिनसे आपको हाई रिटर्न मिल सकते हैं।

ये तरीके बिगिनर्स के लिए भी बहुत मददगार हैं क्योंकि इसमें आपको म्यूचुअल फंड के बेसिक्स से लेकर एडवांस्ड टेक्नीक्स तक सब कुछ सीखने को मिलेगा। हमने 20 तरीके इस पोस्ट में कवर किए हैं, जिनसे आप अपने वित्तीय भविष्य को सुरक्षित कर सकते हैं।

इस पोस्ट में हमने सभी तरह के म्युचुअल फंड, जैसे डेट फंड, इक्विटी फंड, बैलेंस्ड फंड, और सेक्टोरल फंड के बारे में बात की है।

तो चलिए, शुरू करते हैं और जानते हैं म्यूचुअल फंड से कमाई करने (How to earn money from mutual fund in hindi) के बारे में–

इस पोस्ट में आप जानेंगे-

म्यूचुअल फंड से कमाई कैसे करें?

म्यूचुअल फंड से कमाई करने के लिए आप लोंग टर्म इन्वेस्टमेंट के जरिए अपने पैसों को इन्वेस्ट करके अच्छे रिटर्न कमा सकते हैं। साथ ही अपने निवेश का रेगुलर परफॉर्मेंस मॉनिटर करें और अपनी रिस्क प्रोफाइल के हिसाब से फंड सेलेक्ट करें। इसके अलावा पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन और रिस्क मैनेजमेंट के द्वारा अपने निवेश लक्ष्यों को प्राप्त करें।

म्यूचुअल फंड से पैसे कमाने के सभी तरीकों के बारे में हमने एक-एक करके उदाहरण के साथ बताया है जिसमें सबसे पहला तरीका है–

1. म्यूचुअल फंड से कमाई करें लॉन्ग टर्म निवेश के जरिए

म्यूचुअल फंड से कमाई करने के लिए सबसे पहला पॉइंट है कि जब आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं, तो लॉन्ग टर्म निवेश को ध्यान में रखें। इसका मतलब है कि आप अपने पैसे को कम से कम 5 से 7 साल तक म्यूचुअल फंड में निवेश करें।

इस तरह से आपका पैसा मार्केट के उतार-चढ़ाव के बीच में उतार-चढ़ाव करेगा, लेकिन लॉन्ग टर्म में ज्यादा रिटर्न भी जेनरेट करेगा। उदाहरण के लिए, अगर आपने 5 साल पहले रु. 10,000 म्यूचुअल फंड में निवेश किया था और आज वो म्यूचुअल फंड में रु. 15,000 है, तो उसने 50% रिटर्न दिया है।

अगर आप शॉर्ट-टर्म के लिए म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो बाजार के उतार-चढ़ाव से नुकसान हो सकता है और रिटर्न कम होंगे। लेकिन लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट से आप अपने पैसे को ग्रो कर सकते हैं और म्यूचुअल फंड में निवेश करके अच्छी कमाई कर सकते हैं।

2. म्यूचुअल फंड से कमाई के लिए निवेश को डायवर्सिफाई करें

दूसरा पॉइंट ये है कि अपने पैसे को एक ही म्यूचुअल फंड में निवेश ना करें, बल्कि अलग-अलग फंड के बीच में पैसे बांटे। इस तरीके से आप अपने पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन ला सकते हैं।

डायवर्सिफिकेशन का मतलब है कि आप अपने पैसे को अलग-अलग सेक्टर्स और कंपनियों में इन्वेस्ट करें। इससे आपके निवेश का जोखिम diversify होगा और एक कंपनी के या सेक्टर के डाउनफॉल से पूरे निवेश पर प्रभाव नहीं पड़ेगा।

उदाहरण के लिए, अगर आपके पास रु. 50,000 हैं और आप सिर्फ एक ही म्युचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं, तो वो फंड एक विशेष सेक्टर में फोकस करेगा जैसे बैंकिंग सेक्टर, फार्मा सेक्टर, आदि।

  • अगर उस सेक्टर में कोई बड़ी समस्या हो जाती है, तो आपका पूरा पैसा उस सेक्टर से जुड़ा होगा जिससे उस पूरे पैसे का नुकसान हो जाएगा।
  • लेकिन अगर आप अपने पैसे को अलग-अलग फंड्स में निवेश करते हैं जिसमें अलग-अलग सेक्टर्स और कंपनियों के स्टॉक होते हैं, तो आपके पोर्टफोलियो में रिस्क स्प्रेड-आउट होगा।
  • इस तरह से आप अपने पैसे को प्रोटेक्ट कर सकते हैं और रिटर्न भी मैक्सिमम कर सकते हैं।

इस तरीके से विविधीकरण यानी diversification करने से आपके निवेश का जोखिम कम होता है और आप अपने वित्तीय लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सही तरीके से निवेश कर सकते हैं।

3. अपने पैसे लार्ज कैप मिडकैप और स्मॉलकैप तीनों फंड में एलोकेट करें

म्यूचुअल फंड से कमाई का तीसरा पॉइंट ये है कि अपने पैसे को लार्ज-कैप, मिड-कैप और स्मॉल-कैप म्यूचुअल फंड के बीच में आवंटित यानी डिवाइड करना चाहिए। ये फंड अलग-अलग रिस्क लेवल और रिटर्न का कॉम्बिनेशन ऑफर करते हैं।

  • लार्ज कैप म्युचुअल फंड्स उन कंपनियों के स्टॉक्स में शामिल हैं जिनकी मार्केट कैपिटलाइजेशन ज्यादा है। इसका मतलब है कि वो कंपनियां वित्तीय रूप से स्थिर होती हैं और उनके शेयर में ज्यादा वोलैटिलिटी नहीं होती है। इस तरह के फंड में रिस्क कम होता है लेकिन रिटर्न भी कम होते हैं।
  • मिड-कैप म्युचुअल फंड ऐसे कंपनियों के स्टॉक में शामिल करते हैं जिनकी मार्केट कैप लार्ज-कैप से कम और स्मॉल-कैप से ज्यादा होती है। इस तरह के फंड में जोखिम और रिटर्न मध्यम स्तर के होते हैं।
  • स्मॉल-कैप म्यूचुअल फंड्स उन कंपनियों के स्टॉक्स में शामिल होते हैं जिनकी मार्केट कैपिटलाइज़ेशन सबसे कम होता है। इस तरह के फंड में रिस्क हाई होता है लेकिन रिटर्न भी ज्यादा होते हैं।

उदाहरण के लिए, अगर आपके पास ज्यादा जोखिम लेने की क्षमता है और आपको ज्यादा रिटर्न चाहिए, तो आप अपने पैसे को स्मॉल-कैप म्यूचुअल फंड में आवंटित कर सकते हैं। लेकिन अगर आपका रिस्क टॉलरेंस कम है और आपको स्टेबल रिटर्न चाहिए तो आप लार्ज-कैप म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं।

इस तरह से अलग-अलग रिस्क लेवल और रिटर्न के संयोजन के बीच में अपने पैसे को आवंटित करके आप अपने वित्तीय लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं।

4. SIP इन्वेस्टमेंट करके म्यूचुअल फंड से कमाई करें

म्यूचुअल फंड से कमाई का अगला तरीका है एसआईपी (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) में पैसा इन्वेस्ट करना शुरू करें क्योंकि नियमित रूप से पैसा निवेश करने से लंबी अवधि के लिए लाभ मिलते हैं।

  • एसआईपी (SIP) एक ऐसा तरीका है, जिसमें आप निश्चित अंतराल के बीच में अपने म्यूचुअल फंड में पैसा निवेश करते हैं।
  • इसका मतलब है कि आपको एक बार में ज्यादा पैसा इन्वेस्ट करने की जरूरत नहीं है,
  • बल्कि रेगुलर इंटरवल्स के बीच में थोड़ा-थोड़ा पैसा इन्वेस्ट करके अपने पोर्टफोलियो को बिल्ड कर सकते हैं।
  • सिप (SIP) से आप अपने निवेश को अनुशासित तरीके से मैनेज कर सकते हैं और लॉन्ग टर्म में रिटर्न भी मैक्सिमम कर सकते हैं।
  • इससे आपको मार्केट के उतार-चढ़ाव से कम नुकसान होता है क्योंकि आप रेगुलर पैसा इन्वेस्ट कर रहे होते हैं।

उदाहरण के लिए, अगर आपके पास हर महीने रु. 5000 निवेश करने के लिए हैं, तो आप सिप के लिए हर महीने रु. 5000 म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। इस तरह से आप अपने पैसे को अनुशासित तरीके से निवेश कर सकते हैं और अपने वित्तीय लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सही तरीके से निवेश कर सकते हैं।

इस तरह से रेगुलर इंटरवल के बीच में पैसा इन्वेस्ट करने से आप लॉन्ग टर्म में ज्यादा रिटर्न जेनरेट कर सकते हैं और अपने फाइनेंशियल गोल्स को अचीव कर सकते हैं।

5. म्यूचुअल फंड से कमाई के साथ टैक्स सेविंग का फायदा उठाएं

म्यूचुअल फंड निवेश से कमाई का अगला तरीका है कि आप इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम्स (ELSS) म्यूचुअल फंड में निवेश करके टैक्स सेविंग कर सकते हैं।

  • ELSS म्युचुअल फंड एक ऐसी श्रेणी है जो लंबी अवधि के निवेश और कर बचत यानी टैक्स सेविंग के लिए लोकप्रिय है।
  • ईएलएसएस म्यूचुअल फंड में निवेश करते वक्त आपको इनकम टैक्स एक्ट सेक्शन 80C के साथ टैक्स बेनिफिट मिलते हैं।
  • इसका मतलब है कि आप जो पैसा ईएलएसएस म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं उस राशि को कर योग्य आय से घटा सकते हैं और आपको कर योग्य आय से पैसे बचा सकते हैं।
  • ईएलएसएस म्यूचुअल फंड के रिटर्न इक्विटी म्यूचुअल फंड की तरह होते हैं। इसका मतलब है कि आपको बाजार के उतार-चढ़ाव से डील करना होगा।
  • लेकिन, लॉन्ग टर्म क्षितिज में ईएलएसएस म्युचुअल फंड आपको अच्छे रिटर्न प्रदान कर सकते हैं और टैक्स सेविंग के साथ-साथ आपका वेल्थ भी ग्रो कर सकते हैं।

उदाहरण के लिए, अगर आपके पास रु. 1,50,000 कर योग्य आय है और आप 50,000 रुपये ईएलएसएस म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं, तो आपका कर योग्य आय रु. 1,00,000 हो जाएगा। इस तरह से आप रु. 50,000 से संबंधित कर बचत कर सकते हैं।

इस तरह से ईएलएसएस म्युचुअल फंड आपको टैक्स सेविंग्स के साथ-साथ लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए भी अच्छे ऑप्शन प्रदान करते हैं।

6. म्यूचुअल फंड की परफॉर्मेंस और ट्रेक रिकॉर्ड देखकर इन्वेस्ट करें

म्यूचुअल फंड से कमाई के लिए छठा पॉइंट ये है कि म्यूचुअल फंड का प्रदर्शन और पिछला ट्रैक रिकॉर्ड पर ध्यान देकर निवेश करें।

  • म्युचुअल फंड के निवेश से पहले उसकी परफॉर्मेंस और पिछले ट्रैक रिकॉर्ड का ध्यान देना बहुत जरूरी है।
  • आपको किसी भी म्यूचुअल फंड के बारे में निवेश करने से पहले उसके प्रदर्शन को अच्छे से विश्लेषण करना चाहिए।
  • इसका मतलब है कि आपको म्यूचुअल फंड के पिछले रिटर्न, अस्थिरता, जोखिम-समायोजित रिटर्न और बेंचमार्क रिटर्न को देखना चाहिए।
  • आपको म्यूचुअल फंड के पिछले रिटर्न को देख कर उसकी परफॉर्मेंस का आइडिया मिल सकता है।
  • पिछले रिटर्न के अलावा, आपको म्यूचुअल फंड के रिस्क प्रोफाइल और वोलैटिलिटी को भी चेक करना चाहिए।
  • इससे आपको आइडिया मिल जाएगा कि म्यूचुअल फंड कितना जोखिम भरा है और आपको कितने रिटर्न प्रदान कर सकता है।
  • म्यूचुअल फंड के पिछले ट्रैक रिकॉर्ड को चेक करने के लिए आपको म्यूचुअल फंड की वेबसाइट, न्यूज आर्टिकल्स और financial advisors से जानकारी लेनी चाहिए।
  • आपको इसकी परफॉर्मेंस, पोर्टफोलियो होल्डिंग्स, फंड मैनेजर के बारे में भी जानकरी लेनी चाहिए।

उदाहरण के लिए, अगर आपको एक लार्ज-कैप म्यूचुअल फंड में निवेश करना है, तो आपको हमें म्यूचुअल फंड के पिछले रिटर्न और प्रदर्शन को देखना चाहिए। आपको उसके पोर्टफोलियो होल्डिंग्स और फंड मैनेजर के बारे में भी जानकारी लेनी चाहिए। इसे आपको आइडिया मिल जाएगा कि म्यूचुअल फंड कितना अच्छा है और आपको कितने रिटर्न मुहैया करा सकते हैं।

इस तरह से म्युचुअल फंड का प्रदर्शन और पिछले ट्रैक रिकॉर्ड को देख कर आप सही तरीके से निवेश करके म्यूचुअल फंड से कमाई कर सकते हैं।

7. म्यूचुअल फंड की फीस और देखकर निवेश करें

साथवा पॉइंट ये है कि म्यूचुअल फंड के एग्जिट लोड, एक्सपेंस रेशियो और अन्य फीस को भी समझें और उन पर ध्यान देकर निवेश करें।

म्यूचुअल फंड के निवेश के साथ साथ आपको म्यूचुअल फंड के exit load, expense ratio और अन्य फीस के बारे में भी जानकारी लेनी चाहिए।

  • म्यूचुअल फंड की एग्जिट लोड फीस होती है जो आपको तब देना होता है जब आप अपने म्यूचुअल फंड यूनिट्स को बेचते हैं।
  • इसके अलावा, म्यूचुअल फंड के एक्सपेंस रेश्यो और अन्य फीस भी होते हैं, जो आपको म्यूचुअल फंड में निवेश करने के बाद देना होता है।
  • आपको म्यूचुअल फंड के एग्जिट लोड, एक्सपेंस रेशियो और अन्य फीस को भी समझना बहुत जरूरी है। इससे आपको आइडिया मिल जाता है कि आपको म्यूचुअल फंड निवेश करने के लिए कितना चार्ज देना होगा।
  • आपको इसकी फीस को देख कर अपना निवेश का बजट प्लान करना चाहिए।
  • आपको म्यूचुअल फंड के एक्सपेंस रेशियो और अन्य फीस को भी चेक करना चाहिए।
  • म्यूचुअल फंड के एक्सपेंस रेश्यो फीस फंड के एसेट के हिसाब से चार्ज की जाती है।
  • इससे आपको पता चलता है कि आपको म्यूचुअल फंड के मैनेजमेंट के लिए कितना चार्ज देना होगा।

उदाहरण के लिए, अगर आप रु 10,000 म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं और उसका एग्जिट लोड 1% है, तो अगर आप अपने यूनिट्स को 1 साल के बाद बेचते हैं तो आपको रु. 100 एग्जिट लोड फीस देना होगा। इस तरह से आपको म्यूचुअल फंड के एग्जिट लोड, एक्सपेंस रेशियो और अन्य फीस को चेक करना चाहिए।

इस तरह से म्यूचुअल फंड के एग्जिट लोड, एक्सपेंस रेश्यो और अन्य फीस को समझ कर आप अपने म्यूचुअल फंड निवेश को सही तरीके से प्लान कर सकते हैं।

8. अपने रिस्क कैपेसिटी के अनुसार म्यूचुअल फंड चुने

म्यूचुअल फंड से कमाई का आठवा पॉइंट है कि अपने रिस्क प्रोफाइल के हिसाब से म्यूचुअल फंड का चयन करें। ज्यादा रिस्की फंड्स को सेलेक्ट करने से पहले अपनी रिस्क टॉलरेंस कैपेसिटी को जान लें।

म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले, अपनी जोखिम सहने की क्षमता को जान लेना बहुत जरूरी है।

  • ये आपको पता लगाने में मदद करता है कि आपको कितना जोखिम लेना चाहिए और किस तरह के म्यूचुअल फंड आपके लिए सही हैं।
  • आपके रिस्क टॉलरेंस कैपेसिटी के हिसाब से आपको म्यूचुअल फंड चुनना चाहिए। अगर आपको हाई रिस्क लेना है तो आप मिड-कैप और स्मॉल-कैप फंड्स को चुन सकते हैं,
  • जबकि अगर आप लो रिस्क लेना चाहते हैं तो आप लार्ज-कैप फंड्स को चुन सकते हैं।
  • जोखिम सहन करने की क्षमता को पता करने के लिए आपको अपने वित्तीय लक्ष्य और निवेश क्षितिज यानी investment horizon को भी ध्यान में रखना होगा। मतलब आपको अपने वित्तीय लक्ष्यों और निवेश क्षितिज के हिसाब से म्यूचुअल फंड को चुनना चाहिए।

उदाहरण के लिए, अगर आपका वित्तीय लक्ष्य सेवानिवृत्ति है और आपका निवेश क्षितिज long term है तो आप उच्च जोखिम वाले म्यूचुअल फंड को चुन सकते हैं। अगर आपका वित्तीय लक्ष्य short term है और आपका निवेश क्षितिज कम है तो आप कम जोखिम वाले म्यूचुअल फंड को चुन सकते हैं।

इस तरह से आपको अपनी रिस्क टॉलरेंस कैपेसिटी के हिसाब से म्यूचुअल फंड को चुनना चाहिए इस प्रकार आप अपने म्यूचुअल फंड निवेश पर अच्छी कमाई कर सकते हैं।

9. म्यूचुअल फंड से कमाई बढ़ाने के लिए सेक्टोरियल फंड शामिल करें

म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय आपको पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन के लिए सेक्टोरल फंड भी शामिल करना चाहिए।

  • सेक्टोरल फंड, एक खास सेक्टर जैसे बैंकिंग, टेक्नोलॉजी, फार्मा, या एनर्जी में invest करते हैं।
  • ये फंड हाई रिस्क वाले होते हैं, लेकिन हाई रिटर्न भी ऑफर करते हैं।
  • पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन के लिए, sectoral fund को अपने पोर्टफोलियो में शामिल करके आप अपने पैसे को अलग-अलग सेक्टर्स में भी इनवेस्ट कर सकते हैं।
  • मतलब अगर आप एक खास इंडस्ट्री की ग्रोथ पर कॉन्फिडेंट हैं, तो आप उस सेक्टर के म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं।
  • लेकिन सेक्टोरल फंड्स की एक बड़ी प्रॉब्लम ये है कि ये फंड्स ज्यादा वोलेटाइल होते हैं, और ये फंड्स sector-specific होते हैं।
  • मतलब अगर आपके पोर्टफोलियो में किसी एक स्पेशल सेक्टर की परफॉर्मेंस खराब हो जाती है, तो आपकी इनवेस्टमेंट भी खराब हो सकती है।

इसीलिए, सेक्टोरल फंड्स को चुनते समय अपने रिस्क टॉलरेंस कैपेसिटी को ध्यान में रखना बहुत जरूरी है।

अगर आपको हाई-रिस्क लेना है और आप कॉन्फिडेंट हैं कि एक स्पेशल सेक्टर ग्रोथ करेगा, तो आप सेक्टोरल फंड्स में पैसा इन्वेस्ट कर सकते हैं।

लेकिन, अगर आपको रिस्क से डर लगता है, तो sectoral funds को अवॉइड करना बेहतर है।

सब चीजों को ध्यान में रखकर, सेक्टोरल फंड्स को अपने पोर्टफोलियो में शामिल करना आपकी इन्वेस्टमेंट को डाइवर्सिफाई करने में मदद करेगा।

10. अपनी म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो की कमाई को रेगुलर ट्रैक करते रहे

दसवा पॉइंट है कि नियमित रूप से अपने पोर्टफोलियो की परफॉर्मेंस को मॉनिटर करें और उसके अनुसार एडजस्टमेंट करें।

म्यूचुअल फंड में निवेश करने के बाद, अपने निवेश को मॉनिटर करना बहुत जरूरी है। आपको अपने पोर्टफोलियो की परफॉर्मेंस को नियमित रूप से चेक करते रहना चाहिए।

  • अगर आपको लगता है कि आपका पोर्टफोलियो सही तरह से परफॉर्म नहीं कर रहा है, तो आप अपने पोर्टफोलियो में एडजस्टमेंट कर सकते हैं।
  • आपको अपने पोर्टफोलियो के परफॉर्मेंस के हिसाब से एडजस्ट करना चाहिए।
  • अगर आपका पोर्टफोलियो बहुत वोलेटाइल है और आपको रिस्क से डर लगता है, तो आप अपने पोर्टफोलियो में लो-रिस्क म्यूचुअल फंड को शामिल कर सकते हैं।
  • अगर आपका पोर्टफोलियो परफॉर्मेंस बहुत अच्छा है और आपके इनवेस्टमेंट गोल्स में कोई बदलाव आया है, तो आप अपने पोर्टफोलियो में हाई-रिस्क म्यूचुअल फंड्स को शामिल कर सकते हैं।

इस तरह से, नियमित रूप से अपने पोर्टफोलियो की परफॉर्मेंस को मॉनिटर करना और एडजस्टमेंट करना आपकी इन्वेस्टमेंट को सही दिशा में लाने में मदद करेगा।

11. बैलेंस और हाइब्रिड फंड दोनों में पैसा इन्वेस्ट करें

म्यूचुअल फंड से कमाई का अगला पॉइंट है कि आपको बैलेंस्ड फंड और हाइब्रिड फंड में भी पैसा इन्वेस्ट करना चाहिए। ये फंड इक्विटी और डेट दोनों में निवेश करते हैं।

बैलेंस्ड फंड और हाइब्रिड फंड, इक्विटी और डेट दोनों में निवेश करते हैं। ये फंड अपने नाम के हिसाब से बैलेंस किए गए होते हैं, जिसमें एक तरफ इक्विटी है और दूसरी तरफ डेट है।

  • ये funds बहुत फ्लेक्सिबल होते हैं और अलग-अलग रिस्क लेवल्स पर इन्वेस्ट करने के लिए बहुत अच्छे होते हैं। ये फंड्स लॉन्ग टर्म इनवेस्टर्स के लिए भी अच्छे होते हैं, क्योंकि ये फंड्स स्टेबल रिटर्न और कैपिटल एप्रिसिएशन ऑफर करते हैं।
  • अगर आपके पास मध्यम से लंबी अवधि का निवेश होराइजन है, तो balanced fund और hybrid fund एक अच्छा विकल्प हो सकते हैं।
  • ये फंड आपके निवेश को डायवर्सिफाई करने में मदद करते हैं और इक्विटी और डेट दोनों के फायदे प्रदान करते हैं।
  • लेकिन, बैलेंस्ड फंड और हाइब्रिड फंड के लिए भी अपनी खुद से रिसर्च करना बहुत जरूरी है।
  • आपको इन फंड्स में पिछले प्रदर्शन को चेक करना चाहिए और इसकी एक्सपेंस रेशियो और अन्य फीस पर भी ध्यान देना चाहिए।

इस तरह से, बैलेंस्ड फंड और हाइब्रिड फंड भी एक अच्छा ऑप्शन हो सकते हैं, लेकिन अपनी रिसर्च करने के बाद ही इनमें इन्वेस्ट करना चाहिए।

12. अपने फाइनेंसियल लक्ष्यों के हिसाब से म्युचुअल फंड का चुनाव करें

म्यूचुअल फंड से कमाई के लिए अगला तरीका है कि अपने वित्तीय लक्ष्य के हिसाब से म्यूचुअल फंड का चयन करें।

म्यूचुअल फंड निवेश करने से पहले, आपको अपने वित्तीय लक्ष्यों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना बहुत जरूरी है। आपको अपने अल्पकालिक और दीर्घकालिक वित्तीय लक्ष्यों को परिभाषित करना चाहिए और उसके बाद ही म्यूचुअल फंड का चयन करना चाहिए।

  • अगर आपके शॉर्ट-टर्म फाइनेंशियल गोल हैं, जैसे की वेकेशन या गाड़ी खरीदना, तो आपको लो-रिस्क म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करना चाहिए।
  • ऐसे फंड जल्दी ही रिटर्न देते हैं और आपके शॉर्ट-टर्म गोल्स को हासिल करने में मदद करते हैं।
  • अगर आपके पास लंबी अवधि के वित्तीय लक्ष्य हैं, जैसे कि रिटायरमेंट या बच्चों की शादी, तो आपको उच्च जोखिम वाले म्युचुअल फंड में निवेश करना चाहिए।
  • ऐसे फंड्स लॉन्ग टर्म में हाई रिटर्न देते हैं और आपके लॉन्ग टर्म गोल्स को अचीव करने में मदद करते हैं।

इस तरह से, अपने वित्तीय लक्ष्यों के हिसाब से म्युचुअल फंड का चयन करना बहुत जरूरी है। आपको अपने लक्ष्य के हिसाब से निवेश क्षितिज और जोखिम सहनशीलता भी परिभाषित करना चाहिए और उसके बाद ही अपने पोर्टफोलियो में म्यूचुअल फंड को शामिल करना चाहिए।

13. डेट फंड में निवेश करके अच्छे रिटर्न कमाए

म्यूचुअल फंड से पैसे कमाने का अगला तरीका है जिसमें डेट फंड भी एक ऑप्शन होते हैं, जो लो-रिस्क के साथ स्टेडी रिटर्न देते हैं।

डेट फंड मुख्य रूप से फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज, जैसे कि बॉन्ड और सरकारी सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं। इस वजह से, ये फंड कम जोखिम वाले होते हैं और स्थिर रिटर्न देते हैं। अगर आपको म्यूचुअल फंड निवेश में जोखिम लेना पसंद नहीं है, तो डेट फंड आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकते हैं।

  • डेट फंड में अलग-अलग कैटेगरी होते हैं जैसे कि शॉर्ट-टर्म, मीडियम-टर्म और लॉन्ग-टर्म डेट फंड। इनमें से हर एक कैटेगरी का अपना रिस्क और रिटर्न प्रोफाइल होता है।
  • अगर आपको शॉर्ट टर्म फाइनेंशियल गोल हैं, तो आपको शॉर्ट टर्म डेट फंड में निवेश करना चाहिए।
  • ऐसे फंड जल्दी ही रिटर्न प्रदान करते हैं और कम जोखिम के साथ आपको स्थिर रिटर्न ऑफर करते हैं।

इस तरह से, debt fund एक अच्छा विकल्प हो सकते हैं उन लोगों के लिए जो कम जोखिम वाले निवेश के साथ स्थिर रिटर्न चाहते हैं। लेकिन, जैसे कि हर निवेश में, आपको अपने रिस्क प्रोफाइल और निवेश लक्ष्यों को परिभाषित करना चाहिए, और उसके बाद ही डेट फंड का चयन करना चाहिए।

14. म्यूचुअल फंड में पैसा लगाने से पहले अपना इन्वेस्टमेंट ऑब्जेक्ट पता कर लें

अगला पॉइंट है कि म्युचुअल फंड में पैसा निवेश करने से पहले अपने निवेश उद्देश्य और अपनी जोखिम उठाने की क्षमता का पता कर लेना चाहिए।

  • पहले अपने वित्तीय लक्ष्यों और निवेश उद्देश्यों को परिभाषित करना बहुत महत्वपूर्ण है।
  • आपको ये पता होना चाहिए कि आपको कितने साल बाद कितना पैसा चाहिए और आपकी रिस्क टॉलरेंस कैपेसिटी क्या है।
  • फिर आपको अपना निवेश उद्देश्य के हिसाब से म्यूचुअल फंड का चयन करना चाहिए, जैसे की इक्विटी फंड, डेट फंड, बैलेंस्ड फंड, और सेक्टोरल फंड आदि।
  • जोखिम लेने की क्षमता का पता कर लेना बहुत जरूरी है क्योंकि अगर आप कम जोखिम वाले निवेश चाहते हैं और स्थिर रिटर्न की उम्मीद रखते हैं, तो आप डेट फंड या बैलेंस्ड फंड में निवेश कर सकते हैं।
  • लेकिन, अगर आपको हाई रिटर्न की उम्मीद है और आपको हाई रिस्क टॉलरेंस कैपेसिटी है, तो आप इक्विटी फंड में निवेश कर सकते हैं।
  • अपने जोखिम प्रोफाइल और वित्तीय लक्ष्यों को परिभाषित करने के बाद, आपको म्यूचुअल फंड का चुनाव करना चाहिए।
  • साथ ही आपको अपने फाइनेंशियल प्लानर से सलाह लेना चाहिए और फिर अपना निवेश निर्णय लेना चाहिए।
  • एक बार निवेश करने के बाद, आपको अपना पोर्टफोलियो का प्रदर्शन नियमित रूप से मॉनिटर करना चाहिए और तदनुसार समायोजन करना चाहिए।

इस तरह से, अपने निवेश के उद्देश्य और जोखिम लेने की क्षमता का पता करके, म्यूचुअल फंड में निवेश करने से आपको अच्छे रिटर्न मिल सकते हैं।

15. एसआईपी म्यूचुअल फंड से कमाई के लिए रेगुलर निवेश करें

म्यूचुअल फंड से कमाई के लिए अगला पॉइंट है कि अगर आप SIP में अपने पैसे को नियमित रूप से निवेश करते हैं, इससे आपको बाजार की अस्थिरता से कम नुकसान होता है।

एसआईपी या SIP investment एक ऐसा निवेश उपकरण है जिसमें आप एक निश्चित राशि (fixed amount) का पैसा हर महीने, तिमाही, या साल में म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं।

  • एसआईपी के जरिए आप अपने पैसे को नियमित रूप से निवेश कर सकते हैं, और इससे आपको बाजार में उतार-चढ़ाव से कम नुकसान होता है।
  • एसआईपी की मदद से आप Rupee cost averaging यानी रुपये की लागत औसत का फायदा उठा सकते हैं।
  • Rupee cost averaging का मतलब है कि आपको बाजार में उतार-चढ़ाव की परवाह नहीं करनी चाहिए, क्योंकि आपका पैसा फिक्स्ड अमाउंट में हर महीने निवेश होता है।
  • जब मार्केट डाउन होता है तो आपको ज्यादा यूनिट मिलते हैं और जब मार्केट हाई होता है तो कम यूनिट मिलते हैं। इस तरह से, आपको एवरेज कॉस्ट बराबर यूनिट मिलते हैं, जो कि लॉन्ग टर्म में अच्छे रिटर्न देते हैं।
  • एसआईपी आपको लॉन्ग टर्म वेल्थ क्रिएशन में मदद करता है।
  • एसआईपी के जरिए नियमित निवेश करने से आपको लॉन्ग टर्म में अच्छे रिटर्न मिलते हैं।
  • इसके अलावा, आपको लॉन्ग-टर्म में कंपाउंडिंग का बेनिफिट भी मिलता है, क्योंकि आपके इन्वेस्टमेंट का इंटरेस्ट भी इंटरेस्ट देता है।

इस तरह से, एसआईपी एक बहुत ही प्रभावी निवेश साधन है, जिसके माध्यम से आप अपने पैसे को नियमित रूप से निवेश कर सकते हैं और लंबे समय में अपने लिए wealth create कर सकते हैं।

16. म्यूचुअल फंड से कमाई के लिए फंड मैनेजर का ट्रैक रिकॉर्ड चेक करें

म्यूचुअल फंड में पैसा निवेश करने से पहले फंड मैनेजर के ट्रैक रिकॉर्ड को चेक करें और उनके निवेश की रणनीति को समझें।

फंड मैनेजर एक ऐसा व्यक्ति होता है जिसकी जिम्मेदारी होता है म्यूचुअल फंड के निवेश को मैनेज करना और निवेशकों के लिए अच्छे रिटर्न उत्पन्न करना। फंड मैनेजर के प्रदर्शन और निवेश की रणनीति का पता लगाने के लिए आपको उनके ट्रैक रिकॉर्ड को चेक करना चाहिए।

  • फंड मैनेजर का ट्रैक रिकॉर्ड उस पीरियड की परफॉर्मेंस को रिफ्लेक्ट करता है, जिसमें वो फंड मैनेजर था।
  • आपको फंड मैनेजर के पिछले प्रदर्शन का विश्लेषण करना चाहिए, जिससे आपको उनके निर्णय लेने की प्रक्रिया और निवेश रणनीति का पता चलेगा।
  • आपको ये भी देखना चाहिए कि फंड मैनेजर ने अपने निवेश को कितने देर तक होल्ड किया है, क्योंकि लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट ज्यादा रिटर्न देते हैं।
  • फंड मैनेजर के निवेश की रणनीति को समझने के लिए आपको उनके निवेश उद्देश्य और फंड के निवेश के आदेश को जानना चाहिए।
  • फंड मैनेजर का रोल है कि वो इन्वेस्टर्स के लिए अच्छे रिटर्न जेनरेट करें, पर ये भी जरूरी है कि उनके इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजी से इनवेस्टर्स के रिस्क प्रोफाइल के हिसाब से कम्पैटिबल हो।

इस तरह से, फंड मैनेजर के प्रदर्शन और निवेश रणनीति को चेक करके आपको पता चलेगा कि आप उनके निवेश में पैसा निवेश करने के लिए तैयार हैं या नहीं।

17. म्यूचुअल फंड में कमाई के जोखिम को कम करने के लिए लार्ज कैप फंड में निवेश करें

म्यूचुअल फंड से कमाई के लिए अगला पॉइंट जो आपको पता होना चाहिए वो ये है कि कि लार्ज-कैप फंड में निवेश करने से कम जोखिम होता है, लेकिन ये कम रिटर्न भी ऑफर करते हैं।

  • लार्ज-कैप फंड में निवेश करने से कम जोखिम होता है क्योंकि ये कंपनियां बहुत stable और स्थिर होती हैं, जिनका बाजार में ज्यादा अनुभव होता है।
  • ऐसी कंपनियों के शेयरों में निवेश करके, निवेशक कम जोखिम लेते हुए अच्छे रिटर्न पा सकते हैं।
  • लार्ज-कैप कंपनियों के शेयरों में आम तौर पर बाजार में उतार-चढ़ाव से कम प्रभाव होते हैं और लंबी अवधि में stable growth की पेशकश करते हैं।
  • लेकिन लार्ज-कैप फंड में निवेश करने से रिटर्न भी कम मिलते हैं, क्योंकि ये कंपनियां ज्यादा ग्रोथ पोटेंशियल नहीं रखती हैं और उनके स्टॉक के प्राइस में ज्यादा वैरिएशन नहीं होता है।
  • अगर आप लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए लार्ज-कैप फंड्स को सेलेक्ट करते हैं, तो आपको स्टेबल रिटर्न मिलेंगे और आपके पोर्टफोलियो का रिस्क भी कम हो जाएगा।
  • लार्ज-कैप फंड का चयन अपने जोखिम प्रोफाइल और निवेश उद्देश्य के हिसाब से करें, ताकि वह आपके लिए सबसे सही म्यूचुअल फंड हो।

18. अधिक कमाई करने के लिए स्मॉल कैप म्युचुअल फंड में इन्वेस्ट करें

म्यूचुअल फंड से कमाई का 18वां बिंदु ये है कि स्मॉल-कैप फंड में निवेश करने से ज्यादा जोखिम होता है, लेकिन ये हाई रिटर्न भी ऑफर करते हैं।

  • स्मॉल-कैप कंपनियां, जिनका बाजार पूंजीकरण यानी Market cap छोटी होती है, ऐसे स्टॉक में निवेश करके, निवेशक ज्यादा जोखिम लेते हुए ज्यादा रिटर्न पा सकते हैं।
  • ये कंपनियां आमतौर पर नई होती हैं और मार्केट में कम एक्सपीरियंस रखती हैं। इसलिए, स्मॉल-कैप फंड में निवेश करने से बाजार में उतार-चढ़ाव से ज्यादा जोखिम होता है।
  • लेकिन स्मॉल-कैप फंड्स में निवेश करने से ज्यादा रिटर्न भी मिलते हैं, क्योंकि कंपनियों के स्टॉक्स में ज्यादा ग्रोथ पोटेंशियल होता है।
  • जब ऐसी कंपनियां सफल होती हैं, तो उनके शेयरों की कीमतों में ज्यादा बढ़ोतरी होती है।
  • स्मॉल-कैप फंड्स के रिटर्न लॉन्ग-टर्म में ज्यादा होते हैं, लेकिन शॉर्ट-टर्म में ज्यादा वेरिएशन भी होती है।
  • इसीलिए स्मॉल-कैप फंड्स का चयन अपने जोखिम प्रोफाइल और निवेश उद्देश्य के हिसाब से करें।
  • अगर आप ज्यादा जोखिम ले सकते हैं और high return की तलाश कर रहे हैं, तो स्मॉल-कैप फंड में निवेश कर सकते हैं।
  • लेकिन, ये फंड्स ज्यादा वोलेटाइल होते हैं और शॉर्ट टर्म में लॉस का रिस्क भी ज्यादा होता है।
  • इसलिए, अपना रिसर्च करके, निवेश करने से पहले जोखिम और लाभ को अच्छे से समझ लें।

19. म्यूचुअल फंड से अच्छे रिटर्न कमाने के लिए अपने टाइम होराइजन को ध्यान में रखें

जब आप म्यूचुअल फंड में पैसा इन्वेस्ट करते हैं, तब आपको अपने फाइनेंशियल गोल्स और टाइम होराइजन को भी ध्यान में रखना चाहिए। Time horizon का मतलब होता है कि आप अपने पैसे को कितने समय के लिए निवेश कर रहे हैं।

  • अगर आप शॉर्ट टर्म फाइनैंशल गोल्स के लिए पैसा इन्वेस्ट कर रहे हैं, तो आपको लो रिस्क फंड्स जैसे debt funds में पैसा invest करना चाहिए।
  • लेकिन, अगर आप लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल गोल्स के लिए पैसा इन्वेस्ट कर रहे हैं, तो आपको हाई रिस्क हाई रिटर्न वाले फंड जैसे equity funds में पैसा invest करना चाहिए।

उदाहरण के लिए, अगर आप एक छोटे बच्चे के लिए शिक्षा या शादी के लिए पैसा निवेश करना चाहते हैं जो कुछ साल बाद आएंगे, तो यह आपके लिए एक शॉर्ट टर्म फाइनेंशियल गोल है। इस सिचुएशन में, आपको लो-रिस्क डेट फंड्स में इन्वेस्ट करना चाहिए।

लेकिन, अगर आप रिटायरमेंट के लिए पैसा इन्वेस्ट कर रहे हैं जो बहुत साल बाद आएगा, तो यह आपके लिए एक लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल गोल है। इस सिचुएशन में, आपको हाई-रिस्क हाई-रिटर्न इक्विटी फंड्स में इन्वेस्ट करना चाहिए।

इसलिए म्यूचुअल फंड से कमाई करने के लिए टाइम होराइजन को समझना और उसी के हिसाब से फंड को चुनना बहुत जरूरी है।

20. म्यूचुअल फंड से कमाई के लिए धैर्य और अनुशासन होना जरूरी है।

आखरी पॉइंट यह है कि म्यूचुअल फंड से कमाई करने के लिए निवेश करते समय आपमें धैर्य और अनुशासन होना बहुत जरूरी है। आपको अपने निवेश के परिणाम के लिए इंतजार करना होगा।

  • कभी-कभी market fluctuations के कारण आपके निवेश को नुकसान भी हो सकता है,
  • लेकिन आपको पैनिक नहीं करना चाहिए बल्कि अपने financial goals को ध्यान में रखते हुए अपने इन्वेस्टमेंट को मॉनिटर करते रहना चाहिए।
  • मतलब आपको अपने निवेश को समय-समय पर review करनी चाहिए और सही समय पर निवेश को switch करना चाहिए।
  • ऐसा करने से आपको अपने निवेश के परिणाम में सुधार देखने को मिल सकता है।
  • अगर आपको म्यूचुअल फंड में निवेश करने में कोई समस्या हो रही है या फिर कोई सवाल है तो आप अपने म्यूचुअल फंड मैनेजर या वित्तीय सलाहकार से चर्चा कर सकते हैं।

इस प्रकार उनकी मदद से आप अपने निवेश को सही तरीके से कर सकते हैं और अपनी वित्तीय योजनाओं को हासिल करने में सफल हो सकते हैं।

म्यूचुअल फंड से कमाई करने से जुड़े सवाल जवाब

म्यूचुअल फंड से कमाई कैसे की जा सकती है?

म्युचुअल फंड में पैसा निवेश करके आप अपने पैसे को विभिन्न प्रकार की प्रतिभूतियों में निवेश कर सकते हैं। इससे आपको मार्केट के अप-डाउन से भी कम नुकसान होता है और लॉन्ग-टर्म में स्टेबल रिटर्न मिलते हैं इस प्रकार आप म्यूचुअल फंड से अच्छी कमाई कर सकते हैं।

क्या म्यूचुअल फंड में निवेश करना सुरक्षित है?

म्युचुअल फंड में पैसा निवेश करना बाजार के जोखिम से बचने का एक अच्छा तरीका है। लेकिन ये भी एक तरह का निवेश है जिसमें जोखिम शामिल होता है। लेकिन अगर आप खुद से रिसर्च करके एक अच्छा म्युचुअल फंड सिलेक्ट करते हैं तो म्यूचुअल फंड में निवेश करना सुरक्षित है। इसीलिए आपको अपने रिस्क प्रोफाइल के हिसाब से म्यूचुअल फंड का चयन करना चाहिए।

क्या म्यूचुअल फंड से कमाई करने के लिए ज्यादा पैसा निवेश करना जरूरी है?

म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए आपको एक न्यूनतम निवेश राशि की जरूरत होती है, जो आमतौर पर 5000 रुपये होती है। ज्यादा पैसा निवेश करने से रिटर्न में सुधार हो सकता है, लेकिन कम पैसा निवेश करके भी आप म्यूचुअल फंड से कमाई कर सकते हैं।

मैं म्यूचुअल फंड से कितना पैसा कमा सकता हूं?

अगर आपके पास निवेश करने के लिए पैसा है तो आप म्यूच्यूअल फंड से आप लाखों रुपए कमा सकते हैं। लेकिन ध्यान रखें आपको किसी अच्छे mutual fund में पैसा लगाना होगा ताकि आपकी इन्वेस्टमेंट पर लॉन्ग टर्म में अच्छा रिटर्न मिले।

क्या आप म्यूचुअल फंड से अमीर बन सकते हैं?

जी हां कोई भी म्यूचुअल फंड से अमीर बन सकता है अगर जरूरत है तो केवल सही फंड में पैसा निवेश करने की और अपने कैपिटल को बढ़ने के लिए टाइम देने की। ऐसा करने से कोई भी व्यक्ति लॉन्ग टर्म में म्यूचुअल फंड के द्वारा अमीर बन सकता है।

क्या म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए प्रोफेशनल नॉलेज की जरूरत है?

प्रोफेशनल नॉलेज म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए जरूरी नहीं है। लेकिन आपको म्यूचुअल फंड के बेसिक्स को समझना जरूरी है, जैसे विभिन्न प्रकार के म्यूचुअल फंड, फीस और खर्च, प्रदर्शन और ट्रैक रिकॉर्ड आदि।

क्या म्यूचुअल फंड से कमाई करने के लिए रेगुलर मॉनिटरिंग जरूरी है?

म्यूचुअल फंड में पैसा निवेश करने के बाद नियमित रूप से पोर्टफोलियो चेक करते रहना जरूरी है। तो इसका जवाब हां है मतलब आपको अपने निवेश को समय-समय पर रिव्यु करने की जरूरत होती है।

निष्कर्ष (म्यूचुअल फंड से कमाई कैसे करें)

इन 20 तरीकों के जरिये म्यूचुअल फंड से कमाई करने की बात करने के बाद, ये साफ दिख रहा है कि म्यूचुअल फंड एक बहुत ही प्रभावी तरीका है अपने पैसे को बढाने के लिए। लेकिन, पैसा निवेश करने से पहले अपनी वित्तीय लक्ष्य और जोखिम सहन करने की क्षमता को अच्छे से समझ लेना भी बहुत ही जरूरी है।

इसके अलावा, म्यूचुअल फंड की परफॉर्मेंस और पिछले ट्रैक रिकॉर्ड को भी ध्यान में रखना चाहिए और फीस और चार्ज पर भी फोकस करना चाहिए। पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन के लिए सेक्टोरल फंड्स और डेट फंड्स भी एक अच्छा ऑप्शन है।

एसआईपी की मदद से नियमित रूप से निवेश करना और अनुशासित दृष्टिकोण रखना भी बहुत जरूरी है। फंड मैनेजर के ट्रैक रिकॉर्ड और निवेश रणनीति को समझना और समय क्षितिज के हिसाब से फंड को चुनना भी काफी महत्वपूर्ण है।

इसके अलावा, म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए धैर्य और अनुशासन का होना बहुत ही जरूरी है। नियमित रूप से अपने पोर्टफोलियो को मॉनिटर करते रहें और सही समय पर निवेश को स्विच करें। कुल मिलाकर, म्यूचुअल फंड से कमाई करने के लिए अच्छी रिसर्च करना बहुत ही जरूरी है।

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