टर्म प्लान के नुकसान क्या हैं– टर्म इंश्योरेंस खराब क्यों है?

जानिए टर्म प्लान के नुकसान क्या हैं, टर्म इंश्योरेंस बेकार क्यों है, क्या टर्म इंश्योरेंस खराब होता है, टर्म लाइफ इंश्योरेंस की कमियां, disadvantages of term insurance in Hindi

टर्म इंश्योरेंस को अक्सर सबसे बेहतर और सबसे सस्ता तरीका बताया जाता है अपने परिवार के आर्थिक भविष्य को सुरक्षित करने का अगर कोई अचानक घटना हो जाए। लेकिन क्या ये सच में इतना फ़ायदेमंद है? क्या आपको पता है कि टर्म इंश्योरेंस के भी कुछ नुकसान होते हैं?

टर्म प्लान के नुकसान, Disadvantages of term insurance in hindi

इस आर्टिकल में हम ‘टर्म प्लान के नुकसान‘ के बारे में बात करेंगे क्योंकि एक ओर जहां टर्म इंश्योरेंस के अपने फायदे हैं, वहीं इसकी कमियों पर भी विचार करना भी बहुत जरूरी है।

इस पोस्ट में आप जानेंगे-

टर्म प्लान के नुकसान (Disadvantages of term insurance in hindi)

टर्म प्लान का नुकसान है कि ये केवल एक विशेष अवधि के लिए कवरेज प्रदान करता है, जिसके बाद पॉलिसी समाप्त हो जाती है, और बीमाधारक बिना किसी कवरेज के रह जाता है।

इसके अलावा, टर्म इंश्योरेंस कोई निवेश लाभ भी प्रदान नहीं करता है, जिसका अर्थ है कि इसकी कोई cash value या saving component नहीं है।

टर्म इंश्योरेंस का एक और संभावित नुकसान यह है कि समय के साथ इसका प्रीमियम बढ़ सकता है, जिससे यह लंबे समय में less affordable हो जाता है।

इसीलिए किसी भी टर्म लाइफ इंश्योरेंस का चयन करने से पहले सावधानीपूर्वक वैकल्पिक बीमा विकल्पों पर विचार करना महत्वपूर्ण है जो आपकी आवश्यकताओं के अनुरूप बेहतर हो सकते हैं।

चलिए अब एक-एक करके टर्म इंश्योरेंस के नुकसान के बारे में जान लेते हैं–

1. टर्म प्लान में समय सीमा निर्धारित होती है

टर्म प्लान का पहला नुकसान यह है कि टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी की कवरेज का समय नियमित रूप से निर्धारित होता है, जिसके अंतर्गत सुरक्षा देने का समय आम तौर पर 10 से 30 साल तक होता है।

जब पॉलिसी का समय समाप्त हो जाता है, तो पॉलिसी खत्म हो जाती है और इंश्योर्ड को कोई सुरक्षा नहीं मिलती है।

इसका एक उदाहरण ये है कि अगर किसी ने 25 साल का टर्म लाइफ इंश्योरेंस लिया है और 26 साल में उसकी मौत हो जाती है, तो पॉलिसी का प्रयोग नहीं किया जा सकता है और उसके परिवार को कोई भी दावा नहीं मिल सकता है।

2. टर्म इंश्योरेंस में कोई निवेश लाभ नहीं मिलता

दूसरा नुकसान ये है कि जरूरत के अनुसार टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ कोई निवेश लाभ (investment benefit) नहीं मिलता है। यानी इसका मतलब है कि टर्म लाइफ इंश्योरेंस का प्रयोग सिर्फ सुरक्षा के लिए होता है और इसमें कोई बचत का प्रभाव नहीं होता है।

इस प्रकार, अगर पॉलिसी धारक की death नहीं होती है और पॉलिसी खत्म हो जाती है, तो उसे कोई पैसा नहीं मिलता है।

अगर हम बात करेंगे, एक अन्य जीवन बीमा योजना की जैसे कि endowment policy जिसमें बचत भी होती है और पैसा प्राप्त करने की संभावना होती है, लेकिन इस प्रकार की योजना का प्रीमियम कुछ ज्यादा होता है और टर्म इंश्योरेंस की तुलना में खरीदना मंहगा होता है।

3. समय के साथ प्रीमियम बढ़ने से नुकसान

टर्म इंश्योरेंस की तीसरी कमी यह है कि इसमें प्रीमियम समय के साथ बढ़ सकते हैं। यानि, प्रीमियम की राशि पॉलिसी टर्म के अंतर्गत निर्धारित समय के अनुसर फिक्स होती है, लेकिन समय के साथ बढ़ती रहती है।

अगर इंश्योर्ड व्यक्ति की उम्र ज्यादा हो जाती है, तो उनको ज्यादा प्रीमियम भरना पड़ सकता है। जिस तरह से अगर किसी व्यक्ति ने 25 साल की उम्र में टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदी है और 35 साल की उम्र तक उसने रेगुलर प्रीमियम भरे हैं लेकिन जब वो 40 साल के हो जाते हैं तो प्रीमियम उनके लिए महंगे हो जाते हैं।

4. टर्म लाइफ इंश्योरेंस में बीमा संबंधी मदद नहीं मिलती

टर्म लाइफ इंश्योरेंस केवल इंश्योर्ड की मौत के बाद क्लेम करने के लिए होता है यानी यह किसी भी प्रकार के बीमा से संबंधित दिक्कतों को हैंडल करने में सहायता नहीं करता है।

इसका मतलब है कि अगर पॉलिसी होल्डर को किसी प्रकार के हादसे के कारण चोट लगती है और वो अपने काम को नहीं कर पाते हैं, तो उन्हें कोई मदद नहीं मिलती है।

जिससे कि पॉलिसी धारक को गंभीर बीमा संबंध दिक्कतों का सामना करना पड़ता है जैसे कि दुर्घटना, सर्जरी, या कोई गंभीर बीमारी, जिसमें टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी उनके लिए कोई सहायता नहीं कर सकती है। इसलिए, ऐसे व्यक्ति के लिए, अलग से हेल्थ इंश्योरेंस या क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी लेना फायदे की मांग हो सकती है।

5. अपनी जरूरत के अनुसार पॉलिसी का चयन ना कर पाना

टर्म प्लान के नुकसान में से एक ये है कि ये पॉलिसीधारक को अपनी ज़रूरतों के अनुसार पॉलिसी का चयन नहीं करने दिया जाता है। यानी, पॉलिसी धारक को जो कवरेज की जरूरत होती है, उसके हिसाब से पॉलिसी का चयन नहीं किया जा सकता है।

आम तौर पर, पॉलिसी धारक को जो सुरक्षा की जरूरत होती है, उसके हिसाब से पॉलिसी का मूल्य और पॉलिसी अवधि निर्धारित किया जाता है।

जैसे की, अगर किसी व्यक्ति की उम्र 25 साल है और वो 40 साल की उम्र तक की सुरक्षा के लिए टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी लेना चाहते हैं, तो वो सिर्फ 15 साल की पॉलिसी खरीद सकते हैं।

मतलब अगर इंश्योर्ड को पॉलिसी टर्म खत्म होने के बाद भी सुरक्षा की जरूरत होती है, तो उसे फिर से पॉलिसी खरीदना पड़ता है।

6. टर्म प्लान में पॉलिसी अवधि के दौरान क्लेम नहीं कर पाते हैं

टर्म इंश्योरेंस का अगला नुकसान है कि पॉलिसी टर्म के अंतर्गत क्लेम ना कर पाना। यदि इंश्योर्ड की मौत किसी भी कारण से पॉलिसी टर्म के बाद होती है, तो उसकी फैमिली को कोई भी पैसा नहीं मिलता है।

इसका मतलब है कि अगर इंश्योर्ड ने 20 साल की टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदी है और उसकी मौत 21 साल बाद होती है, तो उसकी फैमिली को कोई भी क्लेम नहीं मिलता है।

यानी कि, पॉलिसी टर्म के खत्म होने के बाद, इंश्योर्ड और उसकी फैमिली को किसी भी तरह की सुरक्षा नहीं मिलती है।

इसलिए, इंश्योरेंस लेने वाले को हमेशा अपनी उम्र और ज़रूरतों के अनुसार पॉलिसी टर्म और कवरेज का चयन करना चाहिए, ताकि वो अपना परिवार को लम्बे समय तक सुरक्षित रख सकें।

7. पॉलिसी धारक को पूरी सुरक्षा ना मिलना

टर्म जीवन बीमा करवाने का अगला नुकसान है कि ये इंश्योर्ड को पूर्ण सुरक्षा नहीं प्रदान करता है। मतलब, पॉलिसी धारक की मौत के अलावा, किसी भी प्रकार के हादसे जैसे की दुर्घटना, बीमा संबंध रोग, या दूसरे गंभीर स्थिति के कारण, वो काम करने में असमर्थ हो जाते हैं, तो उन्हें कोई वित्तीय सुरक्षा नहीं मिलती है।

इसीलिए टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी का इस्तेमाल करने से पहले इंश्योर्ड को दूसरी बीमा पॉलिसी की भी जांच करनी चाहिए, जैसे कि हेल्थ इंश्योरेंस या क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी, ताकि वो अपनी फाइनेंशियल सुरक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार रहें।

8. टर्म प्लान लेने के बाद प्रीमियम भुगतान जारी रखना पड़ता है

टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी का एक और disadvantage ये है कि पॉलिसी होल्डर को प्रीमियम पेमेंट जारी रखना पड़ता है। यदि इंश्योर्ड अपने प्रीमियम पेमेंट को समय पर नहीं करता है, तो उसकी पॉलिसी कैंसिल हो सकती है और कोई भी सुरक्षा नहीं मिलेगी।

इसीलिए किसी भी हालत में प्रीमियम भुगतान को समय पर जारी रखना बहुत जरूरी है, नहीं तो पॉलिसी का अर्थ ही खत्म हो जाएगा। इसलिए, इंश्योर्ड को अपनी इनकम और फाइनेंशियल कंडीशन के अनुसार ही पॉलिसी की प्रीमियम राशि निर्धारित करनी चाहिए, ताकि वो समय पर प्रीमियम पेमेंट कर सकें और पॉलिसी के फायदे का प्रयोग कर सकें।

9. बीमा संबंधी रोग होने पर प्रीमियम राशि बढ़ जाती है

Term insurance का अगला नुकसान ये है कि यदि इंश्योर्ड को किसी पहले से मौजूद मेडिकल कंडीशन या बीमा संबंधी रोग है, तो उसकी प्रीमियम राशि बढ़ जाती है।

जैसे कि अगर इंश्योर्ड को हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज या दिल की बीमारी जैसे किसी भी रोग के लिए इलाज चल रहा है, तो उसकी प्रीमियम राशि बीमा कंपनी के द्वारा बढ़ा दी जा सकती है।

इस प्रकार, पहले से मौजूद मेडिकल कंडीशन वाले पॉलिसीहोल्डर के लिए टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी लेना थोड़ा मुश्किल हो सकता है और ज्यादा high premium पे करने की जरूरत भी पड़ती है। इसलिए, पहले से मौजूद मेडिकल कंडीशन वाले इंश्योर्ड व्यक्ति को पॉलिसी लेने से पहले बीमा कंपनी के द्वारा निर्धारित सभी शर्तों का पूरा ध्यान रखना चाहिए।

10. अन्य बीमा ऑप्शन का चयन करें

टर्म प्लान के नुकसान से बचने के लिए दूसरे बीमा ऑप्शन चयन करें, जैसे की endowment policies, money back policies या ULIPs, जो इंश्योर्ड को मैच्योरिटी बेनिफिट के अलावा regular income भी प्रदान करते हैं।

इन पॉलिसी में इंश्योर्ड को एक फिक्स्ड समय पर मैच्योर बेनिफिट मिलते हैं और उसके साथ ही, पॉलिसी टर्म के दौरान रेगुलर पेआउट भी मिलते हैं।

इस प्रकार, टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी के मुक़ाबले, अन्य पॉलिसी का प्रयोग करके इंश्योर्ड को रेगुलर इनकम और एकमुश्त (lumpsum) भुगतान करने का लाभ मिल सकता है। इसलिए, पॉलिसी धारक को अपनी फाइनेंशियल जरूरतों के अनुसार ही सही बीमा पॉलिसी का चयन करना चाहिए और अपनी फाइनेंशियल सुरक्षा का पूरा ध्यान रखना चाहिए।

FAQ’s (Term insurance ke nuksan)

क्या टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी सभी लोगों के लिए सही है?

नहीं, टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी सभी लोगों के लिए सही नहीं है। यदि आपकी आय और वित्तीय स्थिति स्थिर नहीं है, तो आपको दूसरे बीमा पॉलिसी जैसी कि एंडोमेंट पॉलिसी या मनी बैक पॉलिसी की जांच करनी चाहिए।

क्या टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी लेना जरूरी है?

टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी लेना जरूरी नहीं है, लेकिन यदि आपके परिवार का फाइनेंशियल फ्यूचर आपकी डेथ के बाद सुरक्षित रखना चाहते हैं, तो टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी लेना बहुत जरूरी है।

क्या टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी के अंतर्गत सभी प्रकारों के रोग और हादसे के लिए कवर है?

नहीं, टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी के अंतर्गत सभी प्रकारों के रोग और परेशानी के लिए कवर नहीं होता है। इसलिए इंश्योर्ड को पॉलिसी डॉक्युमेंट्स को ध्यान से पढ़ना चाहिए और पॉलिसी की शर्तों और कंडीशंस को समझना चाहिए।

क्या टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी लेना आसान है?

हां, टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी लेना बहुत ही आसन है। आप किसी भी बीमा कंपनी के वेबसाइट पर जा कर ऑनलाइन टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी खरीद सकते हैं।

क्या टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम अमाउंट बढ़ सकता है?

हां, टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम राशि बढ़ सकता है यदि इंश्योर्ड को पहले से मौजूद मेडिकल कंडीशन है या पॉलिसी होल्डर का उम्र बढ़ रहा है। इसलिए पॉलिसी होल्डर को प्रीमियम अमाउंट को समझने के लिए पॉलिसी डॉक्युमेंट्स को ध्यान से पढ़ना चाहिए।

टर्म प्लान के नुकसान क्या हैं ‘निष्कर्ष’

इन सभी टर्म प्लान के नुकसान के बावजूद, टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी भी एक बहुत ही जरूरी फाइनेंशियल प्रोडक्ट है जो हमारी डेथ के बाद हमारे परिवार के लिए सुरक्षा प्रदान करता है।

लेकिन, ये policy कुछ सीमाएं और प्रतिबंध के साथ आती है। इसलिए, टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी के फायदे और नुकसान को समझ कर, इंश्योर्ड को अपनी फाइनेंशियल नीड्स के अनुसार ही सही पॉलिसी का चयन करना चाहिए।

क्योंकि जब आप सही बीमा पॉलिसी का चयन कर पाएंगे तभी तो आप अपने परिवार के भविष्य को सुरक्षित कर सकते हैं।

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उम्मीद करता हूं ‘disadvantages of term insurance in hindi‘ के बारे में आपको यह जानकारी उपयोगी लगी होगी. अगर आपका इस टॉपिक से संबंधित कोई सवाल है तो नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर पूछिए।

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