ट्रेडिंग कितने प्रकार के होते हैं? Types of Trading in Hindi

ट्रेडिंग कितने प्रकार के होते हैं: शेयर मार्केट में ट्रेडिंग से पैसे कमाना हर किसी का सपना होता है लेकिन उससे पहले आपको ट्रेडिंग के प्रकार केे बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। कुछ ट्रेडर इंट्राडे ट्रेडिंग करके लाखों रुपए का प्रॉफिट कमाते हैं तो कुछ लोग ऑप्शन ट्रेडिंग से पैसा कमाते हैं।

वहीं कुछ लोग स्काल्पिंग ट्रेडिंग करके कुछ ही मिनटों में स्टॉक खरीदकर और बेचकर हजारों रुपए कमा लेते हैं। कुछ ट्रेडर डेरिवेटिव ट्रेडिंग करते हैं तो कुछ पोजीशनल ट्रेडिंग, तो आखिर हमें किस प्रकार की ट्रेडिंग करनी चाहिए और आखिर ट्रेडिंग कितने प्रकार के होते हैं?

Types of trading in hindi
Types of trading in hindi

आपके लिए ट्रेडिंग के प्रकार (Types of trading in hindi) जानना बहुत आवश्यक है क्योंकि अगर आप किसी एक प्रकार की trading पर ही अपना पूरा फोकस करेंगे तो ही आप स्टॉक ट्रेडिंग में सफल हो सकते हैं।

क्योंकि अगर आप हर प्रकार की ट्रेडिंग करेगें तो किसी भी एक ट्रेडिंग स्टाइल पर अच्छे से ध्यान नहीं लगा पाएंगे जिससे आपको मुनाफे की बजाय नुकसान हो सकता है।

हम सभी जानते हैं ट्रेडिंग एक व्यापार है जिसमें जोखिम भी शामिल होता है और इसमें प्रत्येक ट्रेडिंग के प्रकार में ट्रेडिंग रणनीति अलग-अलग होती है इसलिए आपको ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है यह जरूर जानना चाहिए।

क्योंकि जब आपको ट्रेडिंग के सभी प्रकार पता होंगे तो आप आसानी से चुन सकेंगे कि आपकी ट्रेडिंग साइकोलॉजी के हिसाब से आपको कौन सी ट्रेडिंग करनी चाहिए।

आज मैं आपको ट्रेडिंग के प्रकार (Types of trading in hindi) के बारे में बताने वाला हूं. आइए जानते हैं–

ट्रेडिंग कितने प्रकार के होते हैं?

ट्रेडिंग कितने प्रकार के होते हैं, Types of trading in hindi
ट्रेडिंग कितने प्रकार के होते हैं?

ट्रेडिंग के प्रकार (Types of trading in hindi)

  1. डिलीवरी ट्रेडिंग
  2. इंट्राडे ट्रेडिंग
  3. स्विंग ट्रेडिंग
  4. फ्यूचर ट्रेडिंग
  5. ऑप्शन ट्रेडिंग
  6. स्काल्पिंग ट्रेडिंग
  7. मार्जिन ट्रेडिंग
  8. एल्गो ट्रेडिंग
  9. मुहूर्त ट्रेडिंग

1. डिलीवरी ट्रेडिंग (Delivery Trading)

ट्रेडिंग का सबसे पहला प्रकार है डिलीवरी ट्रेडिंग। इसे हम लोंग टर्म ट्रेडिंग भी कहते हैं क्योंकि इसमें शेयर को खरीद कर लंबे समय के लिए होल्ड करना पड़ता है। इसमें जब स्टॉक की कीमत आपके द्वारा खरीदे गए भाव से कई गुना ऊपर चली जाती है तो उसे बेचकर मुनाफा कमा सकते हैं।

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यह Long term investing की तरह होती है जिसमें आपका फोकस वेल्थ क्रिएट करने पर होता है। इस प्रकार की trading में स्टॉप लॉस और टारगेट का अधिक महत्व नहीं रहता है।

डिलीवरी ट्रेडिंग के जरिए आप अच्छी कंपनियों में पैसा निवेश करके स्टॉक को लोंग टर्म होल्ड करके बेचने पर अच्छा खासा लाभ कमा सकते हैं।

लेकिन किसी भी प्रकार की trading करने से पहले आपके पास डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट होना जरूरी है। इसलिए सबसे पहले किसी भरोसेमंद ब्रोकर के पास अपना डिमैट और ट्रेडिंग खाता खुलवा ले। लेकिन उससे पहले सभी ट्रेडिंग चार्जेस को अच्छे से चेक कर लें।

2. इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading)

एक ही दिन के अंदर की जाने वाली ट्रेडिंग को इंट्राडे ट्रेडिंग कहते हैं। इसे हम डे ट्रेडिंग भी बोलते हैं जो ट्रेडिंग सुबह शेयर मार्केट खुलने से लेकर शाम को मार्केट बंद होने तक की जाती है।

इंट्राडे ट्रेडिंग में stop-loss और टारगेट का महत्व बहुत ज्यादा होता है। क्योंकि डे ट्रेडिंग में आपको कुछ ही मिनटों में शेयर को buy और sell करना पड़ता है।

इंट्राडे ट्रेडिंग में 5 मिनट टाइम फ्रेम का चार्ट देखना सबसे अच्छा माना जाता है। इस प्रकार की ट्रेडिंग से प्रॉफिट कमाने के लिए आपको अलग-अलग चार्ट पेटर्न, कैंडल्स और टेक्निकल एनालिसिस की जानकारी होनी चाहिए।

इंट्राडे ट्रेडिंग में आपको ब्रोकर के द्वारा कुछ स्टॉक्स पर मार्जन भी मिलता है जिससे आप कम पैसों से अधिक स्टॉक्स ट्रेड कर पाते हैं लेकिन उसके अपने फायदे और नुकसान हैं।

डे ट्रेडिंग में जोखिम ज्यादा होता है क्योंकि आपको उसी दिन स्टॉक को खरीदना और बेचना पड़ता है और अगर आप उसी दिन स्टॉक को खरीद कर बेचना भूल जाते हैं तो मार्केट बंद होने पर आपका ब्रोकर आपके behalf पर आपकी उस दिन की सभी पोजीशन स्क्वायर ऑफ कर देता है चाहे आप को उनमें भारी लॉस ही क्यों ना हो। साथ ही आपको कुछ squre-off भी अलग से देने पड़ते हैं।

इंट्राडे ट्रेडिंग करते समय यह बातें ध्यान रखें;

  • स्टॉप लॉस और टारगेट जरूर लगाएं।
  • केवल 5 मिनट और 15 मिनट टाइम फ्रेम के चार्ट पर ही ट्रेडिंग करें।
  • अधिक मार्जिन लेकर ट्रेड मत करें।
  • ट्रेडिंग साइकोलॉजी को समझें।
  • अधिक लिक्विड स्टॉक्स में ट्रेडिंग करें।
  • सपोर्ट और रेजिस्टेंस का ध्यान रखें।
  • मार्केट बंद होने से पहले सभी पोजीशन स्क्वायर ऑफ कर दें।

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3. स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading)

तीसरे प्रकार की ट्रेडिंग है स्विंग ट्रेडिंग। एक या एक से अधिक दिन के लिए की जाने वाली ट्रेडिंग को स्विंग ट्रेडिंग कहते हैं। यह 1 हफ्ते 15 दिन 1 महीने या कुछ महीनों के लिए भी हो सकती है।

स्विंग ट्रेडिंग में इंट्राडे ट्रेडिंग के मुकाबले जोखिम कम होता है क्योंकि इसमें आपको उसी दिन स्टॉक को नहीं बेचना पड़ता। लेकिन स्विंग ट्रेडिंग में भी आपको सपोर्ट और रेजिस्टेंस पर ही ट्रेड करना पड़ता है।

स्टेडियम में आपको ऐसे स्टॉक सिलेक्ट करने पड़ते हैं जो बार-बार ऊपर नीचे होते रहते हैं। निफ्टी नेक्स्ट 50 कंपनियों के शेयर स्विंग ट्रेडिंग के लिए बेस्ट माने जाते हैं क्योंकि उनमें लिक्विडिटी काफी ज्यादा होती है।

कुछ लोग nifty50 वाली कंपनियों में स्विंग ट्रेडिंग करते हैं लेकिन मैं उन्हें बता दूं कि निफ़्टी फिफ्टी के यार बहुत ही में चलते हैं। इसीलिए इनकी तुलना में Nifty next 50 स्टॉक्स चुनना अधिक बेहतर होता है साथ ही इनमें जोखिम के चांसेस भी बहुत कम होते हैं।

4. फ्यूचर ट्रेडिंग (Future Trading)

जैसा कि नाम से ही पता चलता है future के लिए की जाने वाली ट्रेडिंग को फ्यूचर ट्रेडिंग कहते हैं। यह F&O या डेरिवेटिव ट्रेडिंग के अंतर्गत आती है। इसमें आपको भविष्य के किसी निश्चित समय पर किसी निश्चित मूल्य पर किसी शेयर के फ्यूचर को खरीदने या बेचने के लिए पहले ही समझौता करना पड़ता है।

फ्यूचर ट्रेडिंग एक कॉन्ट्रैक्ट होता है जिसमें आपको खरीदे गए शेयर को समय खत्म होने से पहले sell करना पड़ता है। जिस प्राइस पर अपने फ्यूचर के लिए शेयर खरीदा है उसे फ्यूचर प्राइस कहते हैं और और जितने समय के लिए उसे खरीदा है उसे डिलीवरी डेट कहते हैं।

यह शेयर मार्केट ट्रेडिंग का वह तरीका है जिसमें आप बहुत कम पैसों से भी शुरुआत कर सकते हैं।

5. ऑप्शन ट्रेडिंग (Option Trading)

ऑप्शन ट्रेडिंग भी डेरिवेटिव ट्रेडिंग का ही एक प्रकार है। इसमें कॉल और पुट दो प्रकार के ऑप्शन्स होते हैं। कॉल ऑप्शन मार्केट में तेजी होने पर खरीदा जाता है और पुट ऑप्शन मार्केट में मंदी के समय खरीदा जाता है।

ऑप्शन ट्रेडिंग में आप दो तरह से प्रॉफिट कमा सकते हैं–

  1. ऑप्शन को खरीद कर
  2. ऑप्शन को बेचकर

अधिकतर नए लोग ऑप्शन को खरीदते हैं क्योंकि इसमें बहुत कम पैसों से शुरुआत कर सकते हैं जबकि ऑप्शन को बेचने के लिए आपको अधिक पैसों की जरूरत पड़ती है।

ऑप्शन ट्रेडिंग में कुछ ही मिनटों में आपको लाखों रुपए का प्रॉफिट या लॉस हो सकता है क्योंकि इसमें ऑप्शंस की प्राइस बहुत तेजी से ऊपर नीचे होते हैं। इससे बचने के लिए स्टॉपलॉस जरूर लगाएं।

ऑप्शन ट्रेडिंग में नुकसान से बचने के लिए पहले आपको ऑप्शन ट्रेडिंग के बेसिक्स सीखना चाहिए जैसे;

ऑप्शन ट्रेडिंग के बारे में और अधिक विस्तार से जानने के लिए नीचे दी गई पोस्ट पढ़ें–

चलिए आगे बढ़ते हैं ट्रेडिंग के अगले प्रकार पर जो कि है–

6. स्काल्पिंग ट्रेडिंग (Scalping Trading)

कुछ ही मिनटों हो या सेकंडों में स्टॉक की खरीद बिक्री करने वाली ट्रेन को स्काल्पिंग ट्रेडिंग कहा जाता है। शेयर मार्केट में बहुत सारे लोग scalp trading करते हैं।

उन्हें किसी भी प्रकार के तकनीकी विश्लेषण, सपोर्ट रेजिस्टेंस या टारगेट स्टॉप लॉस कोई मतलब नहीं होता। उनका मकसद होता है कुछ ही सेकेंड के अंदर बहुत कम प्राइस की बढ़ोतरी पर शेयर को बेच देना और प्रॉफिट कमा लेना।

शेयर बाजार में बहुत सारे लोग scalp trading करके बहुत कम समय में बहुत ज्यादा पैसा कमा लेते हैं क्योंकि यह लोग अधिक क्वांटिटी के साथ ट्रेड करते हैं। यह बहुत ही शॉर्ट टर्म के लिए की जाने वाली ट्रेडिंग है।

अधिकतर लोग ऑप्शन ट्रेडिंग में निफ्टी और बैंकनिफ्टी के कॉल और पुट ऑप्शन में scalping trading करते हैं क्योंकि इंटेक्स के लिक्विडिटी सबसे ज्यादा होती है इसीलिए थोड़ा सा प्राइस बढ़ता हुआ देखकर यह लोग अपनी सभी क्वांटिटी को sell करके अच्छा खासा प्रॉफिट कमा लेते हैं।

उदाहरण के लिए: मान लीजिए बैंकनिफ्टी के किसी स्ट्राइक प्राइस के कॉल ऑप्शन का प्रीमियम 200 रुपये का है जोकि बहुत तेजी से ऊपर नीचे होता रहता है। अगर आज मार्केट में तेजी है तो एक scalp ट्रेडर 200 रुपये के इसी banknifty कॉल ऑप्शन के बहुत सारे लॉट एक साथ buy कर लेता है।

बैंकनिफ्टी में एक लॉट 25 यूनिट का होता है तो इस हिसाब से उसे एक लॉट खरीदने के लिए (25×200) यानी 5000 रुपये लगाने होंगे।

एक scalp ट्रेडर का मकसद होता है कि अगर 200 rs का प्रीमियम 205 rs हो जाएगा तो मैं उसे बेच दूंगा वह अधिक समय के लिए इंतजार नहीं करता है और साथ ही वह अधिक quantity के साथ ट्रेड करता है ताकि उसे अधिक से अधिक लाभ हो सके।

इसीलिए वह 5 लाख रुपये लगाकर बैंक निफ्टी के उसी 200 rs के कॉल ऑप्शन के 100 लॉट खरीद लेता है। फिर जब प्राइस 200 rs से बढ़कर 205 rs हो जाता है तो वह अपनी सारी क्वांटिटी sell कर देता है। इस प्रकार उसे अच्छा खासा प्रॉफिट हो जाता है।

चलिए देख लेते हैं कि उसे कितना प्रॉफिट हुआ होगा–

उसने 100 quantity खरीदी थी मतलब (100×25) = कुल 2500 यूनिट खरीदे थे

एक यूनिट पर उसे 5 rs का प्रॉफिट हुआ

इस प्रकार 2500 यूनिट पर प्रॉफिट हुआ 2500×5 = 12500 रुपये

Scalping trading में यह प्रॉफिट उसे कुछ ही सेकंड या कुछ ही मिनटों में हो जाता है क्योंकि ऑप्शंस के प्राइस बहुत तेजी से ऊपर नीचे होते हैं।

अब बढ़ते हैं ट्रेडिंग के अगले प्रकार पर–

7. मार्जिन ट्रेडिंग (Margin Trading)

जैसा कि नाम से ही पता चलता है मार्जिन मनी लेकर की जाने वाली ट्रेडिंग मार्जिन ट्रेडिंग कहलाती है। मार्जिन ट्रेडिंग में आप कम पैसों से अधिक प्रॉफिट कमा सकते हैं। लेकिन अगर इसमें आपका अनुमान सही नहीं निकलता है तो आपको नुकसान भी बहुत ज्यादा हो सकता है।

मार्जिन ट्रेडिंग के जितने फायदे हैं उतने नुकसान भी हैं। अगर आपको पूरा भरोसा है कि कोई शेयर यहां से बढ़ेगा तो ही मार्जिन ट्रेडिंग आपके लिए लाभकारी साबित हो सकती है वरना इसमें जोखिम बहुत है।

क्योंकि अगर आपका अनुमान गलत हुआ तो ब्रोकर आपका बैंक अकाउंट खाली कर सकता है।

मेरा मानना है कि आपको तब तक मार्जिन ट्रेडिंग नहीं करनी चाहिए जब तक आपको तकनीकी विश्लेषण, चार्ट पेटर्न, वॉल्यूम, प्राइस एक्शन आदि की जानकारी ना हो।

8. एल्गो ट्रेडिंग (Algo Trading)

शेयर मार्केट ट्रेडिंग में एल्गो ट्रेडिंग कंप्यूटर आधारित ट्रेडिंग को बोलते हैं। यह ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर की मदद से की जाती है जिसमें कुछ स्टॉक के prices को पहले से ही खरीदारी या बिकवाली के लिए सेट कर दिया जाता है।

इस प्रकार की ट्रेडिंग में आपको involve होने की जरूरत नहीं रहती है। सारा काम सॉफ्टवेयर और अल्गोरिथम के माध्यम से होता है। इस प्रकार की trading में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कुछ स्क्रिप्ट का इस्तेमाल होता है जिससे आपका कंप्यूटर ही स्टॉक को खुद से खरीदना और बेचता रहता है।

9. मुहूर्त ट्रेडिंग (Muhurat Trading)

मुहूर्त ट्रेडिंग किसी खास या विशेष समय पर की जाती है। आपने देखा होगा दीपावली के दिन किसी शुभ मुहूर्त पर मार्केट को कुछ निश्चित समय के लिए खोला जाता है जिसे मुहूर्त ट्रेडिंग का नाम दिया गया है।

यह साधारण ट्रेडिंग की तरह ही होती है बस अंतर सिर्फ इतना होता है कि इसे किसी खास त्यौहार के मौके पर किया जाता है।

FAQ’s (Types of trading in hindi)

ट्रेडिंग के 5 प्रकार कौन से हैं?

स्टॉक ट्रेडिंग के पांच प्रकार निम्न हैं;
1. डिलीवरी ट्रेडिंग
2. इंट्राडे ट्रेडिंग
3. स्विंग ट्रेडिंग
4. ऑप्शन ट्रेडिंग
5. पोजीशनल ट्रेडिंग

किस प्रकार का ट्रेडिंग सबसे अच्छा है?

अगर आप लॉन्ग टर्म ट्रेडर हैं तो डिलीवरी ट्रेडिंग आपके लिए सबसे अच्छा है। कम जोखिम के लिए स्विंग ट्रेडिंग बेस्ट है। लेकिन अगर आप अधिक जोखिम लेने को तैयार हैं तो इंट्राडे या ऑप्शन ट्रेडिंग भी कर सकते हैं।

कौन सी ट्रेडिंग सबसे बेस्ट होती है?

यह आपकी साइकोलॉजी और ट्रेडिंग की नॉलेज पर निर्भर करता है कि आपको किस प्रकार की ट्रेडिंग सबसे अच्छे तरीके से आती है। तो जिस ट्रेडिंग की नॉलेज आपको सबसे ज्यादा है वह आपके लिए बेस्ट होती है।

Types of Trading in Hindi – Conclusion

इस लेख (Types of trading in hindi) में मैंने आपको बताया कि ट्रेडिंग कितने प्रकार के होते हैं। आशा करता हूं आपको ट्रेडिंग के सभी प्रकार के बारे में पता चल गया होगा।

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अगर आपको लगता है कि ट्रेडिंग का कोई अन्य प्रकार भी है तो नीचे कमेंट करके जरूर बताइए।

और अगर आपका ट्रेडिंग से संबंधित कोई सवाल है तो भी नीचे कमेंट बॉक्स में पहुंच सकते हैं।

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मेरा नाम दीपक सेन है और मैं इस वेबसाइट का Founder हूं। यहां पर मैं अपने पाठकों के लिए नियमित रूप से शेयर मार्केट, निवेश और फाइनेंस से संबंधित उपयोगी जानकारी शेयर करता हूं। ❤️