इंट्रा डे ट्रेडिंग में मार्जिन क्या है? इंट्राडे में मार्जिन लेने से पहले यह जान लें!

इंट्रा डे ट्रेडिंग में मार्जिन क्या है, इंट्राडे के लिए कितना मार्जिन मिलता है, इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए कितना मार्जिन चाहिए, इंट्राडे में मार्जिन या लिवरेज का मतलब क्या होता है, What is Intraday Margin in Hindi

आज मैं आपको बताऊंगा कि इंट्राडे ट्रेडिंग में मार्जिन का क्या अर्थ होता है और इंट्राडे ट्रेडिंग में मार्जिन लेकर आप कैसे खूब सारा पैसा रोज कमा सकते हैं?

  • क्यों इतने सारे ट्रेडर्स सिर्फ मार्जिन या लीवरेज लेकर ट्रेडिंग करना पसंद करते हैं,
  • जानिए कैसे आप margin के द्वारा कम पैसे लगाकर अधिक प्रॉफिट कमा सकते हैं?
  • और इंट्राडे में मार्जिन लेने के क्या-क्या फायदे और नुकसान हैं, आज हम इसके बारे में भी चर्चा करेंगे।

तो चलिए सबसे पहले जानते हैं कि आखिर Intraday trading में margin होता क्या है?

इंट्रा डे ट्रेडिंग में मार्जिन क्या है?

इंट्रा डे ट्रेडिंग में मार्जिन क्या है, Intraday margin in hindi
इंट्राडे मार्जिन क्या है – Intraday margin in hindi

इंट्राडे ट्रेडिंग में मार्जिन का अर्थ है डिस्काउंट या अतिरिक्त लाभ. इंट्राडे मार्जिन आपको कम पैसों में अधिक शेयर खरीदने का मौका देता है। मतलब ब्रोकर आपके डिमैट अकाउंट में उपलब्ध फण्ड के अलावा जो एक्स्ट्रा फंड्स देता है उसे मार्जिन (margin) कहते हैं।

आपको बता दें कि Margin को लिवरेज (Leverage) भी बोला जाता है। इसे आप बैंक से लिया गया उधार समझ सकते हैं। जिस तरह आप को बैंक से लोन यानी उधार पर पैसा लेने के बाद ब्याज देना पड़ता है उसी तरह इंट्राडे में ब्रोकर के द्वारा दिए गए मार्जिन पर भी ब्याज देना पड़ता है।

Intraday में margin का फायदा यह है कि इसमें आप कम राशि में अधिक शेयर buy कर सकते हैं। लिवरेज की सुविधा केवल इंट्राडे ट्रेडिंग में मिलती है जबकि इक्विटी, डिलीवरी, f&o या कमोडिटी सेगमेंट में कोई मार्जिन नहीं मिलता।

लेकिन ध्यान रहे अगर मार्जिन लेने के बाद आपका ट्रेड नेगेटिव में गया तो आपको अधिक नुकसान भी भुगतना पड़ सकता है।

मतलब एक तरफ मार्जिन के कुछ फायदे हैं तो वहीं दूसरी तरफ इसके कुछ नुकसान भी हैं इसीलिए इंट्राडे में मार्जन लेने से पहले इसके बारे में अच्छे से समझ लेना बेहतर होगा।

इंट्राडे में 5x मार्जिन क्या है?

शेयर मार्केट में लगभग हर ब्रोकर (Groww, Upstox, Zerodha आदि) शेयर खरीदने के लिए 5 गुना मार्जिन देता है जिसे इंट्राडे में 5x मार्जिन कहा जाता है।

आईए इसका एक उदाहरण देखते हैं–

इंट्राडे मार्जिन का उदाहरण (Example of intraday margin in hindi)

मान लीजिए आप ABC कंपनी का कोई शेयर खरीदना चाहते हैं जिसका शेयर प्राइस अभी 100 रुपये है और आपको लगता है कि उसका शेयर प्राइस बढ़ने वाला है।

अभी आपके डिमैट अकाउंट में सिर्फ 1000 रुपये हैं मतलब आप 1000/100 = 10 शेयर खरीद पाएंगे

लेकिन अगर आप इंट्राडे में शेयर खरीदते हैं तो आपको 5x यानी 5 गुना मार्जिन मिल जाएगा जिससे आप 10 की बजाए 50 शेयर खरीद सकते हैं।

मान लो आपने मार्जन लेकर शेयर खरीद लिया और कुछ समय बाद उसका शेयर प्राइस बढ़कर 110 रुपये हो गया तो ऐसे में आपको प्रति शेयर 10 रुपये का प्रॉफिट होगा

अब चूंकि आपने कुल 50 शेयर खरीदे थे इसलिए आपका टोटल प्रॉफिट होगा 50×10 = 500 रुपये

लेकिन अगर आपने मार्जन नहीं लिया होता तो आप केवल 10 शेयर ही खरीद पाते और तब आपका प्रॉफिट होता 10×10 = 100 रुपये

मतलब मार्जिन लेने पर आपको 500–100 = 400 रुपये का मुनाफा हो गया।

यही इंट्राडे में मार्जिन लेने का फायदा है।

लेकिन अगर शेयर का प्राइस 100 रुपये से घटकर 90 रुपये हो जाता है तो ऐसे में आपको 400 रुपये का नुकसान हो जाएगा।

इसीलिए याद रखिए आपको इंट्राडे मार्जिन ट्रेडिंग केवल तभी करनी चाहिए जब आपको अपने ट्रेड पर पूरा भरोसा हो।

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क्या हम बिना मार्जिन के इंट्राडे कर सकते हैं?

जी हां, आप बिना मार्जिन के भी इंट्राडे ट्रेडिंग कर सकते हैं। मतलब यह जरूरी नहीं है कि आपको इंट्राडे में ट्रेड करने के लिए मार्जिन लेना ही पड़ेगा. मतलब आप बिना मार्जिन लिए भी इंट्राडे में ट्रेडिंग कर सकते हैं।

इंट्राडे ट्रेडिंग में मार्जिन का उपयोग करना चाहिए या नहीं?

इंट्राडे ट्रेडिंग में मार्जिन का उपयोग केवल तभी करना चाहिए जब आपने स्टॉक की अच्छे से टेक्निकल एनालिसिस की हो. क्योंकि अगर आप सही तरीके से रिस्क मैनेजमेंट फॉलो नहीं करते हैं तो आपके loss की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।

  • हम सभी जानते हैं कि इंट्राडे ट्रेडिंग काफी रिस्की है क्योंकि इसमें आपको सुबह 9:30 बजे से लेकर 3:30 बजे से पहले अपनी सभी पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करना पड़ता है।
  • मतलब अगर इस टाइम के अंदर आपकी ट्रेड ने अच्छा परफॉर्म नहीं किया तो आपको loss भुगतना पड़ेगा।

अगर बात करें मार्जिन की, तब तो इंट्राडे ट्रेडिंग और भी रिस्की हो जाती है क्योंकि अगर शेयर बाजार बंद होने से पहले आपके द्वारा buy की गई पोजीशन में प्रॉफिट नहीं हुआ और आपने 5x margin लिया हुआ था आपको नुकसान भी 5 गुना होगा।

लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि आपको इंट्राडे में मार्जिन ट्रेडिंग नहीं करनी चाहिए बल्कि आपको अपने ट्रेड को एनालाइज करना चाहिए।

उदाहरण के लिए–

अगर आप दिन में 20 बार ट्रेड करते हैं तो आपको 10 बार मार्जन लेकर और 10 बार बिना मार्जन लेकर ट्रेड करके देखना चाहिए। फिर आपको दोनों की स्थितियों में अपना प्रॉफिट और लॉस कैलकुलेट करना चाहिए।

ऐसा ही लगातार 1 से 2 हफ्ते तक करें और फिर अपना पूरा प्रॉफिट और लॉस कैलकुलेट करें और देखें कि मार्जिन लेने पर कितना प्रॉफिट हुआ और मार्जिन नहीं लेने पर कितना प्रॉफिट हुआ।

अगर आप पाते हैं कि आपको इंट्राडे में मार्जिन लेने पर अधिकतर नुकसान ही होता है तो आपको बिना मार्जिन के ही intraday trading करना चाहिए।

लेकिन अगर 1-2 हफ्ते ट्रेडिंग करने के बाद आपको margin में ही अधिक प्रॉफिट होता है तो आप daily इंट्राडे में मार्जिन लेकर ट्रेड कर सकते हैं।

इस तरह से आप यह डिसाइड कर सकते हैं कि आपको इंट्राडे में मार्जिन लेकर ट्रेडिंग करना है या बिना मार्जिन के ट्रेडिंग करना है।

इंट्राडे मार्जिन के फायदे और नुकसान

नीचे हमने इंट्राडे मार्जिन के फायदे और नुकसान के बारे में एक-एक करके बताया है–

इंट्राडे मार्जिन के फायदे (Advantages of Intraday Margin in Hindi)

  • कम पैसे से ट्रेडिंग: मार्जिन की वजह से ट्रेडर्स इंट्राडे में कम पैसे में भी ट्रेडिंग कर सकते हैं और बड़े पोजीशन ले सकते हैं।
  • ज्यादा लीवरेज: इंट्राडे मार्जिन की मदद से ट्रेडर्स ज्यादा लीवरेज का प्रयोग कर सकते हैं, जिसके रिटर्न बढ़ा सकते हैं।
  • फास्ट ट्रेडिंग: इंट्राडे मार्जिन ट्रेडिंग में ट्रेडर्स को फ़ास्ट entry और exit करने की सुविधा मिलती है, जिससे उनके ट्रेड पर प्रभाव कम होता है।
  • कम ब्रोकरेज: इंट्राडे मार्जिन ट्रेडिंग में ट्रेडर्स को कम ब्रोकरेज शुल्क का फ़ायदा मिलता है, क्योंकि उनके अकाउंट में जमा की गई रकम कम होती है।
  • अधिक मुनाफ़ा: इंट्राडे में मार्जिन लेकर ट्रेडर्स अपने ट्रेड में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं और अपने रिटर्न को मल्टीप्लाई कर सकते हैं।
  • कोई ओवरनाइट रिस्क नहीं: इंट्राडे मार्जिन ट्रेडिंग में ट्रेडर्स को ओवरनाइट रिस्क नहीं होता है, क्योंकि उन्हें पोजीशन को क्लोज करने के लिए नहीं रखना होता।
  • स्ट्रैटेजी टेस्टिंग: इंट्राडे मार्जिन ट्रेडिंग में ट्रेडर्स अपनी ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी को टेस्ट कर सकते हैं, क्योंकि उन्हें कम इनवेस्टमेंट में भी ट्रेड करने की सुविधा मिलती है।

इंट्राडे में मार्जिन के नुकसान (Disadvantages of Intraday Margin in Hindi)

  • हाई वोलैटिलिटी रिस्क: इंट्राडे में मार्जिन लेने पर हाई वोलैटिलिटी रिस्क होता है, क्योंकि मार्केट के उतार-चढ़ाव के कारण ट्रेडर्स के पोजिशन को झटके की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
  • मार्जिन कॉल जोखिम: इंट्राडे मार्जिन ट्रेडिंग में ट्रेडर्स को मार्जिन कॉल का जोखिम भी होता है, जिसमें जब उनके अकाउंट में मार्जिन की रकम कम हो जाती है तो ब्रोकर उन्हें अतिरिक्त फंड के लिए कॉल करने लगता है।
  • ओवरट्रेडिंग जोखिम: इंट्राडे मार्जिन ट्रेडर्स को ओवरट्रेडिंग का जोखिम भी होता है, जिसमें वे ज्यादा ट्रेड करने लगते हैं और अपने अकाउंट को जोखिम में डाल देते हैं।
  • आवश्यक अनुशासन: इंट्राडे मार्जिन लेने के बाद ट्रेडर्स को सख्त अनुशासन और जोखिम प्रबंधन का ध्यान रखना होता है, क्योंकि छोटी-छोटी गलतियां भी बड़े नुकसान का कारण बन सकती हैं।

इंट्राडे मार्जिन लेने पर इसका फायदा और क्या नुकसान है उसके ऊपर आप यह वीडियो देख सकते हैं–

FAQ’s About Intraday Margin in Hindi

इंट्राडे के लिए कितना मार्जिन मिलता है?

जेरोधा, upstox या groww आदि में इंट्राडे ट्रेडिंग करने पर आपको 5x यानी 5 गुना मार्जिन मिलता है। मतलब अगर आपके डीमैट खाते में 10000 रुपये हैं तो आप 50000 रुपये के शेयर खरीद सकते हैं। कुछ ब्रोकर आपको इंट्राडे में 10x या 20x मार्जिन भी उपलब्ध कराते हैं।

इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए कितना मार्जिन चाहिए?

अगर आप 5000 रुपये के शेयर खरीदना चाहते हैं तो आपको अपने डिमैट अकाउंट में कम से कम 1000 रुपये जमा करने होंगे. मतलब अगर आपको इंट्राडे में 5 गुना मार्जिन चाहिए तो आपके ट्रेडिंग खाते में 50% राशि होनी चाहिए।

इंट्राडे मार्जिन की पूरी जानकारी – ‘निष्कर्ष’

इस पोस्ट को पढ़ने के बाद अब आप समझ गए होंगे कि इंट्रा डे ट्रेडिंग में मार्जिन क्या है, इंट्राडे में कितना मार्जिन मिलता है और इंट्राडे में मार्जिन का उपयोग करना चाहिए या नहीं. उम्मीद करता हूं आपको यह जानकारी उपयोगी लगी होगी।

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